Table of Contents
राजस्थान की राजनीतिक एवम प्रशासनिक व्यवस्था
लोकनीति अथवा सार्वजनिक नीति (Public policy)
- जनता की समस्याओं एवं मार्गों के समाधान के लिए सरकार द्वारा जो नीति बनाई जाती है वे लोक नीतियां कहलाती है
- 1937 में में लोकनीति को हावर्ड विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल किया गया
- लोक नीति की शुरुआत के बारे में डेनियम मैक्कुल का कहना है कि लोकनीति के अध्ययन की शुरुआत 1922 में हुई
- पीटर आडे गार्ड ने कहा है कि लोक नीति और प्रशासन राजनीति के जुड़वां बच्चे हैं
- लोकनीति पर 1951 में डेनियल लर्नर तथा हेराल्ड डी लासवे ने अपनी पुस्तक द पॉलिसी साइंस में लोक नीति का विवेचन कर लोकनीति को विषय के रूप में मान्यता दिलवाई
- भारत में औपचारिक रूप से 1894 में बनी राष्ट्रीय वन नीति पहली लोकनीति मानी जाती है
लोकनीति की प्रकृति ( Nature of democracy )
लोक नीति की प्रकृति मुख्यतः सरकारी है लेकिन गैर सरकारी संस्थाएं लोक नीति निर्माण ( Public policy making) की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं
लोकनीति वैधानिक व बाध्यकारी होती है यह वास्तव में सरकार द्वारा जाने वाला कार्य है
लोकनीति के प्रकार
1 मूलभूत या सारगत या बुनियादी नीतियां
2 नियंत्रक नीतियां
3 वितरण संबंधी नीतियां
4 पुनः वितरक नीतियां
5 पूंजीकरण नीतियां
6 क्षेत्रक नीतियां
नीति निर्माण की प्रक्रिया
नीति निर्माण में निम्नलिखित प्रक्रियाए शामिल होती हैं यह प्रक्रिया विभिन्न सरकारी अंगों तथा गैर सरकारी माध्यमों के से संपन्न होती हैं जो निम्नलिखित हैं
राजनीतिक कार्यपालिका(Political executive)
प्रशासनिक तंत्र( Administrative system)
विधायिका( Legislature)
न्यायपालिका( Judiciary)
दबाव एवं हित समूह
राजनीतिक दल(Political party)
लोकमत(Public opinion)
जनसंचार माध्यम( Mass media)
सामाजिक आंदोलन(Social movement)
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां( International agencies)
नीति निर्माण में प्रशासन तंत्र की भूमिका तीन क्रियाओं में बांटी जाती है
सूचना देना
परामर्श देना
विश्लेषण करना
लोकनीति का क्रियान्वयन
लोक नीति के क्रियान्वयन के अध्ययन की शुरुआत हेराल्ड लासवेल ने अपने ग्रंथ मैं सबसे पहले 1956 में की थी
लोकनीति क्रियान्वयन के चरण इसके अंतर्गत तीन चरण हैं
1. पहला चरण 1970 के दशक में लोक नीति के क्रियान्वयन पक्ष को महत्वपूर्ण मानते हुए केस स्टडी पर बल दिया
2. दूसरा चरण 1980 के दशक से प्रारंभ हुआ इसके तहत लोकनीति क्रियान्वयन में पद पर सोपानिक क्रियान्वन पक्ष पर अधिक आनुभविक दृष्टि से अध्ययन पर बल दिया जाने लगा
3. तीसरा चरण यह चरण 1990 के दशक से माना जाता है इस चरण में लोकनीति के क्रियान्वयन को अधिक वैज्ञानिक बनाने पर बल दिया गया है यह पीढ़ी लोकनीति क्रियान्वयन की जटिलता को समझने और उसके समाधान हेतु सिद्धांतों का समर्थन करती है
लोकनीति क्रियान्वयन में बाधाएं
सामान्य नीतियाँ तो बहुत अच्छी होती है लेकिन उसका क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो पाता है
नीति क्रियान्वयन में प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित है
- त्रुटिपूर्ण नीति
- क्रियान्वयन अधिकारियों का जमीनी हकीकत में अपरिचित
- विशिष्ट वर्गों की अवरोधक भूमिका
- भ्रष्टाचार
- जागरूकता का अभाव
- आंतरिक सुरक्षा की समस्या
- बुनियादी ढांचे का अभाव
लोक नीति निर्माण की विशेषताएं
♦ एक जटिल प्रक्रिया
♦ परिवर्तनगामी प्रक्रिया
♦ उपसरंचना का योगदान
♦ निर्णयन प्रक्रिया
♦ दिशा निर्देशों का रेखांकन
♦ कार्य रूप में परिणत
♦ भविष्योन्मुख
♦लोकहित
♦ संसाधनों का उचित उपयोग
लोक नीति के उद्देश्य एवं निर्णय
उद्देश्य नीतियों के लक्ष्य होते हैं।यह वांछित परिणाम है जिसे समाज या सरकार प्राप्त करने की कोशिश करती है।
निर्णय चयन की एक क्रिया है ये दो प्रकार की हो सकती है
1 कार्यक्रमबद्ध
2 गैर कार्यक्रमबद्ध
लोक नीति का मूल्यांकन
मूल्यांकन के अंतर्गत यह पता लगाया जाता है कि जिन व्यक्तियों क्षेत्रों समूहों के लिए नीति निर्माण और क्रियान्वयन किया गया था क्रियान्वयन के बाद उन लोगों को लाभ हुआ या नहीं और जो उद्देश्य व लक्ष्य निर्धारित किए गए थे वह उनकी प्राप्ति में किस हद तक सफल हुए हैं
भारत में लोक नीति मूल्यांकन की कुछ महत्वपूर्ण संस्थाएं निम्नलिखित हैं
नीति आयोग
संसदीय समिति
नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक
राजनीतिक दल
मीडिया गैर
सरकारी संगठन
अनुसंधान संस्थान
विश्वविद्यालय
लोकनीति मूल्यांकन के तीन प्रकार होते हैं
1 प्रशासनिक मूल्यांकन
2 न्यायिक मूल्यांकन
3 राजनीतिक मूल्यांकन
डेनियल मूल्यांकन की तीन विधियां बताइए है
1 प्रक्रिया मूल्यांकन
2 प्रभाव मूल्यांकन
3 समग्र मूल्यांकन
लोकनीति (Public policy) important Question
1. नीति निर्माण में सरकार के तीन कौन कौन से है ?
उत्तर – नीति निर्माण में सरकार के तीन अंग
- कार्यपालिका
- न्यायपालिका
- विधायिका
2. लोक नीति है ?
उत्तर- सरकार के ऐसे नियमों का समूह है जो जनता के कल्याण से सम्बंधित है।
3. लोक नीति की अवधारणा कब व कैसे प्रारंभ हुई है ?
उत्तर- लोकनीति की अवधारणा का प्रारंभ 1922 ई. में माना जाता है जब राजनीतिशास्त्र के प्रसिद्ध विचारक चार्ल्स मेरीयम ने सरकार की गतिविधियों को लोकनीति कहा । 1937 ई. अमरीका के प्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अपने लोकप्रशासन के स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रम में लोकनीति विषय को शामिल किया गया।
4. भारत में नीति निर्माण एक विकेन्द्रित प्रक्रिया है जिसमे विभिन्न अभिकरण अपनी -अपनी भूमिका निभाते है ! इसमें ये अभिकरण कौन है ?
उत्तर- ये अभिकरण जिन्हें हम नीति निर्माण में सहायक संस्था भी कह सकते है वो निम्न है-
(१) संविधान- भारत में व राज्यों में नीति निर्माण की प्रथम शर्त यह है कि वह संविधान की मूल भावना के विरूद्ध ना हों।संविधान की प्रस्तावना व नीति-निर्देशक तत्त्व विभिन्न नीतियो के प्रेरणा स्त्रोत है।
(२) संसद- भारतीय संसद बजट , अनुदान पूरक मांगे , राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा, प्रश्नकाल ,नये कानूनों की स्वीकृति आदि के माध्यम से नीति -निर्माण में भागीदारी करती है। महत्वपूर्ण एवं बड़े नीतिगत फैसलों में संसद की सहमति आवश्यक हैं। भारत में वैसे तो संघात्मक शासन प्रणाली है परंतु केंद्र को अधिक अधिकार है तथा राज्यों को न्यून।
(३) मंत्रिमंडल- संसद में प्रस्तुत किये जाने वाले किसी भी सरकारी विधेयक के लिए मंत्रिमंडल की सहमति आवश्यक है।इस प्रकार मंत्रिमंडल नीति निर्माण का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। संसद द्वारा पारित अधिनियमो के अधीन उनके क्रियान्वयन सम्बन्धी सभी नीतियों मंत्रिमंडल द्वारा बनाई जाती है।
(४) राष्ट्रीय विकास परिषद- परिषद का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है तथा सभी राज्यो के मुख्यमंत्री भी सदस्य होते है। राज्यों को अपना पक्ष रखने का मौका मिलता है। पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
(५) न्यायपालिका- विभिन्न मसलो पर न्यायालय के फैसले एवम सुझाव लोकनीतियो के निर्माण में सहायक होते हैं कई विशिष्ट मामलो में संविधान के अनुच्छेद 138 तथा 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय से सलाह ली जाती है। हालांकि संविधान संशोधन को वैध या अवैध ठहराने के अंतिम अधिकार भी सर्वोच्च न्यायालय का है।
(६) राजनैतिक दल- भारत मे बहुदलीय शासन व्यवस्था है प्रत्येक राजनैतिक दल का अपना-अपना मेनिफेस्टो होता है सत्ताधारी दल अपने मैनिफेस्टो के अनुसार नीतियां तैयार करता है।
(७) परामर्शदात्री समितियां- सरकार द्वारा समय-समय पर गठित स्थायी एव अस्थायी समितियां सरकार को सुझाव एव सिफारिशें सौंपती है जिसके आधार पर उस सम्बन्ध में नीति-निर्धारण कर जन-समूह की आकांक्षाओं को पूरा करते है।
(८) दबाव समूह- सामान्य हित के आधार पर संग़ठन बना लिए जाते है। ये समूह नीतियों को अपने अनुकूल बनाने के लिए हर सम्भव कोशिश करते है एवं आंदोलन या वोट बैंक के माध्यम से, सहयोग करने या असहयोग के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाए रखते है। ट्रेड यूनियन, छात्र संघ, अल्पसंख्यक मोर्चा, महिला उत्पीड़न संघ, कर्मचारी संगठन आदि दबाव समूह के उदाहरण है।
(९) मीडिया या जन-संचार के साधन- वर्तमान में जन-संचार माध्यम जनमत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । स्वतन्त्र मीडिया सरकारी कार्यक्रमो , नीतियों एव सरकार की अच्छाई -बुराई की स्वतंत्र समीक्षा कर अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी का कार्य करता है। नीति-निर्माण में मीडिया की राय अहम है। मीडिया स्वयं एज सशक्त दबाव समूह है। यह नीतियों को प्रभावित करने में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
Play Quiz
Total 15 Question-
प्रश्न. 1 किसने कहा कि लोकनीति ( lokneti ) और प्रशासन राजनीति के जुड़वां बच्चे हैं
प्रश्न 2 नीतियां व्यवहार के लिए नियम हैं जिन्हें सचेत रूप से मान्यता है जो प्रशासनिक निर्णयो को मार्गदर्शन करती हैं लोक नीतियों की यह परिभाषा किसने दी थी
प्रश्न 3 principle of management 1954 किसकी कृति है
प्रश्न 4 लोक नीति का अर्थ है
प्रश्न 5 लोक नीति का अध्ययन कब शुरू हुआ
प्रश्न 6 द पॉलिसी साइंस किसकी रचना है
प्रश्न 7 भारत की पहली औपचारिक नीति कौन सी थी जो वर्ष 1894 में बनी थी
प्रश्न 8 लोक नीति में लोक का अर्थ ह
प्रश्न 9 लोकनीति की प्रकृति है
प्रश्न 10 निम्न में से कौन सा नीति का प्रकार नहीं है
प्रश्न 11 निम्नलिखित में से थियोडोर जे. लोवी ने जो संस्थानिक प्रतिमान के संस्थापक माने जाते हैं ने नीति का कौनसा प्रकार नहीं बताया है
प्रश्न=12- नीति निर्धारण के गैर सरकारी अभिकरण नहीं है?
विधायिका कार्यपालिका प्रशासनिक एजेंसियां न्यायालय सरकारी अभिकरण
प्रश्न=13- सरकार जो कुछ कहना चाहे या करना चाहे लोकनीति कहलाती है कथन किसका है?
प्रश्न=14- कौन सा कथन असत्य है?
प्रश्न=15- लोक नीति निर्माण की प्रक्रिया का प्रथम चरण है?
Share your Results: