ऊर्जा के स्रोतों को समझने के लिए सर्वप्रथम ऊर्जा को समझना पड़ेगा
ऊर्जा संरक्षण का नियम – उर्जा को न तो नष्ट किया जा सकता है ना ही उत्पन्न किया जा सकता है बल्कि किसी एक से दूसरे रूप में बदला जा सकता है, ऊर्जा को नष्ट तो नहीं किया जा सकता है बल्कि ऊष्मा के रूप में ऊर्जा की हानि हो सकती है, कार्य, ऊर्जा और ऊष्मा यह तीनों विमीय रूप से समान होते हैं, तीनो का एक मात्रक जूल होता है, कार्य करके ऊर्जा को संचित या व्यय किया जा सकता है इसी प्रकार ऊर्जा की हानि उष्मा के रूप में होती है अर्थात ऊर्जा उस स्थान से निकल कर कहीं और चली जाती है
प्रमुख ऊर्जा के रूप (Types of Energy)
- यांत्रिक ऊर्जा
- प्रकाश ऊर्जा
- नाभिकीय उर्जा
- विद्युत ऊर्जा
1. यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy)
किसी यंत्र में निहित संपूर्ण ऊर्जा को यांत्रिक उर्जा कहते हैं यह उर्जा स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है यहां यंत्र का अर्थ कोई वस्तु है अर्थात वस्तु की स्थिति उसके विन्यास उसकी बनावट के कारण उसमें जो उर्जा निहित होती है उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं
स्थितिज ऊर्जा ऊंचाई बढ़ने के साथ साथ बढ़ती है अर्थात ज्यादा ऊंचाई से कोई वस्तु नीचे गिरे तो ज्यादा चोट लगती है क्योंकि उस ऊंचाई तक पहुंचने में उसे ज्यादा कार्य करना पड़ा होगा जो उसकी स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो गया होगा बाद में जब वह वस्तु नीचे गिरती है तो उसकी संपूर्ण उर्जा संरक्षण रहती है अर्थात सारी स्थितिज उर्जा गतिज ऊर्जा में बदलने लगती है यही कारण है कि जब ओले पढ़ते हैं तो उन का साइज जरूर छोटा होता है पर उनसे चोट बहुत लगती है वस्तु के गति के कारण उसमें जो उर्जा होती है उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं
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2. प्रकाश ऊर्जा (Light Energy)
प्रकाश एक प्रकार की विद्युत चुंबकीय तरंग है और विद्युत चुंबकीय तरंग उर्जा युक्त होती है इसलिए प्रकाश उर्जा है सूर्य का प्रकाश पानी को गर्म कर सकता है अर्थात जब किसी पदार्थ से अन्योन्य क्रिया करता है तो फोटो उर्जा के रूप में उसमें समाहित हो जाता है और वस्तु गर्म हो जाती है
3. नाभिकीय उर्जा (Nuclear Energy)
परमाणु के नाभिक में निहित ऊर्जा नाभिकीय उर्जा कहलाती है, इसके दो रूप हो सकते हैं
नाभिकीय विखंडन
जब किसी न्यूट्रॉन द्वारा किसी बड़े नाभिक को तोड़ा जाता है तो ढेर सारी ऊष्मा निकलती है और दो छोटे नाभिको का निर्माण होता है, परमाणु बम तथा नाभिकीय रिएक्टर इन्हीं सिद्धांत पर कार्य करते हैं, नाभिकीय रिएक्टर में न्यूट्रॉन की गति को कम करने के लिए कार्बन की छड़ होती है
नाभिकीय संलयन
जब उच्च ताप पर दो नाभिक आपस में मिलते हैं तो एक बड़े नाभिक का निर्माण होता है तो ढेर सारी ऊष्मा उत्पन्न होती है इसे नाभिकीय संलयन कहते हैं क्योंकि इस क्रिया के लिए उच्च ताप की आवश्यकता होती है परंतु अभिक्रिया में इतनी ऊष्मा बनती है कि यह ताप मेंटेन हो जाता है,
सूर्य के सतह पर दो हाइड्रोजन के परमाणु मिलकर एक हीलियम के परमाणु में बदलते हैं इस नाभिकीय संलयन से बहुत सारी उर्जा मुक्त होती है जो सूर्य की ऊर्जा का स्रोत है, सूर्य के ताप और चमकने का यही कारण है, नाभिकीय संलयन की क्रिया द्वारा सारी हाइड्रोजन हीलियम में धीरे-धीरे बदल रही है जिस दिन सूर्य की सारी हाइड्रोजन हीलियम में बदल जाएगी सूर्य का अंत हो जाएगा, और अंततः यह अत्यंत सघन ब्लैक होल में बदल जाएगा हालांकि इस अवस्था के लिए अभी कई करोड़ साल लगेंगे
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नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए लगभग 83 करोड़ डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, क्रिया प्रारंभ होने के बाद इतना ताप बना रहता है क्योंकि नाभिकीय संलयन से काफी ऊष्मा मुक्त होती है इसलिए एक बार यह प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद लगातार चलती रहती है, हाइड्रोजन बम में भी इसी सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है समस्या यह है कि हाइड्रोजन बम में क्रिया प्रारंभ करने के लिए इतना तापमान कहां से लाया जाए, इसलिए हाइड्रोजन बम के प्रयोग से जस्ट पहले एक परमाणु विस्फोट करना पड़ता है जिससे इतना तापमान पैदा हो जाता है जिससे हाइड्रोजन बम सक्रिय हो सके
4. विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy)
उर्जा की सबसे ओरिजिनल अवस्था होती है इसे किसी भी रूप में सुगमता पूर्वक बदला जा सकता है विद्युत उर्जा तीन प्रकार के संयंत्रों से बनाई जा सकती है
- पन विद्युत संयंत्र (Hydro Power Plant) – बांध बनाकर पानी की स्थितिज ऊर्जा का प्रयोग टरबाइन को चलाकर बिजली बनाने में किया जाता है इसे पन विद्युत संयंत्र (Hydro Power Plant) कहते हैं तथा जिन जगहों पर कोयला जैसे जीवाश्म, ईंधन मौजूद है जैसे सूरतगढ़ वहां पर कोयले से भाप बनाकर भाप की शक्ति से टरबाइन घुमाया जाता है और बिजली बनाई जाती है
- तापीय विद्युत संयंत्र (Thermal Power Plants) – कुछ स्थानों पर नाभिकीय विखंडन का प्रयोग करके ऊष्मा उत्पन्न की जाती है और पानी को गर्म करके उस से बिजली बनाई जाती है, इस प्रकार बिजली बनाने में भारी जल का प्रयोग किया जाता है
- नाभिकीय विद्युत संयंत्र (Nuclear Power Plant) – अत्यंत रिस्की और कम उर्जाप्रदान करने वाला एक संयंत्र होता है क्योंकि इस कारखाने में रेडिएशन से प्रति साल बहुत से लोगों की मृत्यु होती है और जो रेडियम और यूरेनियम का कचरा इसके बाद बनता है, उसका निस्तारण बहुत ही मुश्किल है, उस कचरे को जहां डाला जाता है उसके 200 किलोमीटर का एरिया सदैव प्रभावित रहता है वहां रेडिएशन होता रहता है हमारे देश की कुल उर्जा का केवल 5% भाग नाभिकीय उर्जा के द्वारा उत्पन्न किया जाता है परंतु 95% रेडिएशन का यही कारण है इसीलिए नाभिकीय उर्जा विरोध करने योग्य है
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निम्नलिखित यंत्रों द्वारा ऊर्जा को एक से दूसरे रूपों में बदला जाता है
- पंखा तथा सभी प्रकार के विद्युत मोटर विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलते हैं
- जनरेटर यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलता है
- हीटर प्रेस निमनजन छड़ गीजर इत्यादि विद्युत उर्जा को ऊष्मा उर्जा में बदलते हैं
- विद्युत बल्ब मोबाइल फोन की स्क्रीन टीवी की स्क्रीन कंप्यूटर की स्क्रीन विद्युत उर्जा को प्रकाश ऊर्जा में बदलते हैं
- सभी प्रकार के लाउडस्पीकर मोबाइल फोन का स्पीकर इत्यादि विद्युत उर्जा को ध्वनि उर्जा में
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