अर्थशास्त्र तथा अर्थव्यवस्था में अंतर | Economics vs Economy

अर्थशास्त्र तथा अर्थव्यवस्था में अंतर | Economics vs Economy

जब हम अर्थशास्त्र की बात करते हैं तो हम किसी भी सिद्धान्त या अवधारणा के अध्ययन की बात करते हैं। मान कर चलिए आप किसी टॉपिक को पढ़ रहे हैं तो वह अर्थशास्त्र है। यहाँ पर ध्यान रखने वाली बात ये है कि जो भी सामग्री आप पढ़ रहे हो वह अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित होनी चाहिये। जैसे की अख़बार में अगर में मुद्रास्फीति के बारे में पढ़ रहे हैं तो वह अर्थशास्त्र का विषय है। ध्यान रहे केवल अध्ययन करना अर्थशास्त्र नही है बल्कि अर्थव्यवस्था का अध्ययन करना अर्थशास्त्र है। इसमें सिद्धान्त, नियम, अवधारणाएं शामिल हो सकती हैं। इतिहास का अध्ययन करना अर्थशास्त्र नही हो सकता। अब शायद आप समझ गए होंगे कि अर्थशास्त् क्या होता है।

आइये अब अर्थव्यवस्था को समझते हैं। अर्थव्यवस्था एक प्रयोगात्मक दृष्टिकोण है अर्थात इसमें Practical activites होती हैं। इन गतिविधियों में हम अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रयोग करते हैं। जैसे की जब आप बाजार जाते हैं तथा 1 Kg संतरे खरीदते है (सर्दी हैं ना तो संतरे खरीदना ही ठीक है….. hahaha)। तो यह अर्थव्यवस्था का भाग है, आपकी इस गतिविधि में मांग एवम् आपूर्ति सिद्धान्त लागू होता है। यहां आपने मांग एवम् आपूर्ति सिद्धान्त का अध्ययन नही किया बल्कि उसका व्यवहारिक प्रयोग किया। अतः हम यह कह सकते हैं कि अर्थव्यवस्था एक व्यवहारिक गतिविधि है।

अर्थशास्त्र का उदभव

अभी हम यह जानने की कोशिश करते हैं की भारत में अर्थशास्त्र का उदभव कहाँ से माना जाता है। इसका सीधा सा जवाब है अर्थशास्त्र से, जी हाँ लेकिन ये अर्थशास्त्र (Economics) एक पुस्तक का नाम है। जिसे कौटिल्य ने लिखा था (वैसे कौटिल्य के तीन नाम थे आपको पता है ना, चाणक्य, विष्णुगुप्त और कौटिल्य )। चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में थे। सबसे पहले इसी पुस्तक से अर्थशास्त्र शब्द सामने आया। इस पुस्तक की खास बात ये है कि यह अर्थव्यवस्था से सम्बंधित नही है बल्कि राज्य के प्रशासन के बारे में जानकारी देती है।

          अभी जानते हैं की पूरे विश्व में अर्थशास्त्र की उत्पत्ति कहाँ से मानी जाती है। एक शब्द है  oikos + nomas यह एक ग्रीक भाषा का शब्द है तथा इससे से ही अर्थशास्त्र की उत्पत्ति मानी जाती है। यहाँ पर oikos का अर्थ है घर (house) तथा nomas का मतलब है प्रबंधन (management)। अर्थात घर का प्रबंधन (घरवाली का नहीं.. क्यूंकि वो हो नही पाता है जो विवाहित होंगे वो जानते होंगे….hahaha)।

अर्थशास्त्र का पिता एडम स्मिथ (Adom Smith) को कहा जाता है। उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी Wealth of Nations (1776) जिसमे दुनिया के सभी देशो के सम्पत्ति के बारे में बात की गयी है। एडम स्मिथ Scottland के रहने वाले थे।

Parts of Economics (अर्थशास्त्र के भाग)

अर्थशास्त्र को दो भागों में बांटा गया है-  व्यष्टि (Micro) एवं समष्टि अर्थशास्त्र (Macro)।

1. Micro Economics  

व्यष्टि अर्थशास्त्र का पिता Ragnar Frisch को कहा जाता है। Micro के अन्तर्गत हम बहुत छोटे स्तर पर बात करते हैं। इसे इस तरह याद रखयेगा मोबाइल में Micro sd card होता है मतलब वो पहले से भी छोटा कर दिया गया है। अर्थात व्यष्टि मतलब छोटा। व्यष्टि अर्थशास्त्र के कुछ उदहारण—–

  1. प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)
  2. मांग एवम् आपूर्ति (Demand and Supply)
  3. राजस्व (Revenue)
  4. उपयोगिता (Utility)
  5. कीमत सिद्धान्त (Price Theory)
  6. मांग सिद्धान्त (Demand Theory) आदि

2. Macro Economics  

समष्टि अर्थशास्त्र का पिता जॉन मेनार्ड कीन्स (John Mynard Keynes) को कहा जाता है। इसके अन्तर्गत हम बहुत बड़े स्तर पर बात करते हैं। यह व्यष्टि का विपरीत है। कुछ उदहारण—

  1. राष्ट्रीय आय (National Income)
  2. योजना (Planning)
  3. कर (Tax)
  4. बजट (Budget)
  5. बैंकिंग (Banking) आदि

मान कर चलिये अगर हम केवल एक व्यक्ति की आय के बारे में आकलन रहे हैं तो बहुत छोटे स्तर पर बात कर रहे हैं अतः यह Micro Economics का part होगा। लेकिन जब पुरे देश की आय अर्थात राष्ट्रीय आय का आकलन कर रहे हैं तो Macro Economics (व्यापक स्तर) हो गया। अतः यह macro का भाग होगा।

आज़ादी से पहले हमारी लड़ाई स्वतंत्रता के लिए अंग्रेज़ो के खिलाफ थी। किन्तु आज़ादी के बाद से हमारी लड़ाई आर्थिक असमानता के खिलाफ है अर्थात हमारी लड़ाई समानता के लिए है। जो अभी तक जारी है। हमारे संविधान की प्रस्तावना में तीन goal दिए गए हैं – न्याय (Justice), समानता (Equality) और स्वतंत्रता (Liberty)। वर्तमान दौर में भी आज़ादी के इतने वर्षों बाद, हम समानता के लिए संघर्षशील हैं । यहाँ पर समानता से अभिप्राय मुलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति से है। और हमारी minimum wants हैं रोटी, कपड़ा व मकान।

हमेशा की तरह आपके सुझाव आमंत्रित हैं। हमें नही पता की हम दूर बैठकर समझा पाने में कितना सफल हो पा रहे हैं। इसका निर्णय आप करेंगें। इसलिए Comment करके जरूर बताये 

Specially Thanks to (Post Writer) – Azad Sir

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