भारत में हिमालय तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में स्थानिक वनस्पति पाई जाती है। भारत में पाए जाने वाले पेड़-पौधों की 40 प्रतिशत जातियां तिब्बत तथा चीन से लाकर विकसित की गई हैं। इन्हें बोरियल वनस्पति कहते हैं।
पार्थेनियम नाम की वनस्पति भारत के विभिन्न भागोँ मेँ खूब फैली है यह एक प्रकार की घास है, जिससे स्वास्थ्य तथा चर्म रोग होते हैं। जो वन जलवायु की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं, उन्हें आरक्षित वन कहते हैं।
इसके अंतर्गत अधिकांश राष्ट्रीय पार्क एवं अभ्यारण भी आते हैं। उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन अंडमान निकोबार द्वीप समूह, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा एवं पश्चिम बंगाल तथा पश्चिमी घाट की पश्चिमी ठालों पर पाए जाते हैं।
ये वन आर्थिक दृष्टि से अधिक उपयोगी नहीं हैं। पौधों की जातियां एक शाखा के रुप में रखी जाती हैं, जैसे बोरियल (Boreal)। उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन की लकडी बहुत मूल्यवान होती हैं, जैसे- शीशम, बबूल, कीकर महुआ, आदि।
डेल्टाई वनो को मैंग्रोव, दलदली अथवा ज्वारीय वन भी कहते हैं। ये वन गंगा, ब्रहमपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियों के डेल्टाओं में उगते हैं। हिमालय के गिरिपादों में पर्णपाती प्रकार के वन पाए जाते हैं। नीलगिरी, अन्नामलाई और पालनी पहाडियों पर शीतोष्ण कटिबंधीय वनों को शोला कहते हैं।
मैग्नोलिया लॉरल, यूकेलिप्टस, सिनकोना, ठाठर आदि प्रमुख वृक्ष हैं। ये तेल एवं औषधि के लिए प्रयुक्त होते हैं। भारत में 75,000 प्रकार के जीव जंतु तथा 2500 प्रकार की ताजे व खारे पानी की मछलियां पाई जाती हैं। विश्व में 45000 हजार तरह की वनस्पतियां पाई जाती हैं। इनमें से 5000 प्रकार की वनस्पतियांया सिर्फ भारत में हैं।
राष्ट्रीय कृषि आयोग ने सामाजिक वानिकी को तीन वर्गो में बाटा है – शहरी वानिकी, ग्रामीण वानिकी और फॉर्म वानिकी। देश में 92 राष्ट्रीय उद्यान और लगभग 500 वन्य प्राणी अभ्यारण हैं और ये 1.57 करोड़ हैक्टेअर भूमि पर फैले हैं।
1973 से चलाई जा रही राष्ट्रीय बाघ परियोजना के अंतर्गत कुल 33 उद्यान हैं। भारत विश्व के 17 बडे पारिस्थितिकी विविधता वाले केंद्रों में से एक है।
भारत की वन स्थिति रिपोर्ट 2017
12 फरवरी 2017 को ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017’ (India State of Forest Report-ISFR) जारी की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ वन क्षेत्र के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष 10 देशों में है।
वनों पर मानवीय आबादी और मवेशियों की संख्या के बढ़ते दवाब के बावजूद भारत अपनी वन संपदा को संरक्षित रखने और उसे बढ़ाने में सफल रहा है।
वर्ष 1987 से भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट को द्विवार्षिक रूप से भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित किया जाता है। यह इस श्रेणी की 15वीं रिपोर्ट है। रिपोर्ट में दी गई जानकारी देश की वन संपदा की निगरानी और उसके संरक्षण के लिये वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित प्रबंधन व्यवस्था और नीतियां तय करने में काफी सहायक है।
इस रिपोर्ट में वन एवं वन संसाधनों के आकलन के लिये भारतीय दूरसंवेदी उपग्रह रिसोर्स सेट-2 से प्राप्त आँकड़ों का इस्तेमाल किया गया है रिपोर्ट में सटीकता लाने के लिये आँकड़ों की जाँच हेतु वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत को दुनिया के उन 10 देशों में 8वाँ स्थान दिया गया है जहाँ वार्षिक स्तर पर वन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है।
ISFR 2017 से प्रमुख तथ्य
- देश में वनों और वृक्षों से आच्छादित कुल क्षेत्रफल= 8,02,088 वर्ग किमी. (24.39%)
- भौगोलिक क्षेत्रफल में वनों का हिस्सा = 7,08,273 वर्ग किमी. (21.54%)
- वनों से आच्छादित क्षेत्रफल में वृद्धि = 6778 वर्ग किमी.
- वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रफल में वृद्धि = 1243 वर्ग किमी.
- वनावरण और वृक्षावरण क्षेत्रफल में कुल वृद्धि= 8021 वर्ग किमी. (1%)
- भौगोलिक क्षेत्रफल में वनों और वृक्षावरण का हिस्सा= 24.39%
IFSR 2017 ( प्रमुख बिंदु )
- इस रिपोर्ट में सबसे उत्साहजनक संकेत घने वनों का बढ़ना है।
- रिपोर्ट में वनों को घनत्व के आधार पर तीन वर्गों-बहुत घने जंगल , मध्यम घने जंगल और खुले जंगल में बाँटा गया है।
- घने वन क्षेत्र वायुमंडल से सर्वाधिक मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड सोखने का काम करते हैं। घने वनों का क्षेत्र बढ़ने से खुले वनों का क्षेत्र भी बढ़ा है।
- रिपोर्ट के ताजा आकलन के अनुसार देश के 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का 33% भू-भाग वनों से घिरा है।
- इनमें से 7 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों जैसे- मिज़ोरम, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, नगालैंड, मेघालय और मणिपुर का 75% से अधिक भूभाग वनाच्छादित है।
- जबकि त्रिपुरा, गोवा, सिक्किम, केरल, उत्तराखंड, दादरा नगर हवेली, छत्तीसगढ़ और असम का 33 से 75% के बीच का भू-भाग वनों से घिरा है।
- देश का 40% वनाच्छादित क्षेत्र 10 हज़ार वर्ग किलोमीटर या इससे अधिक के 9 बड़े क्षेत्रों के रूप में मौजूद है।
- देश में मैंग्रोव वनस्पति का क्षेत्र 4921 वर्ग किमी. है, जिसमें वर्ष 2015 के आकलन की तुलना में कुल 181 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
- मैंग्रोव वनस्पति वाले सभी 12 राज्यों में पिछले आकलन की तुलना में सकारात्मक बदलाव देखा गया है।
- मैंग्रोव वनस्पति जैव विविधता में समृद्ध होती है जो कई तरह की पारिस्थितिकीय आवश्यकताओं को पूरा करती है।
- रिपोर्ट के अनुसार देश में वाह्य वन एवं वृक्षावरण का कुल स्टॉक 582.377 करोड़ घन मीटर अनुमानित है, जिसमें से 421.838 करोड़ घन मीटर क्षेत्र वनों के अंदर है, जबकि 160.3997 करोड़ घन मीटर क्षेत्र वनों के बाहर है।
- पिछले आकलन की तुलना में बाह्य एवं वृक्षावरण स्टॉक में 5.399 करोड़ घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें 2.333 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्र के अंदर तथा 3.0657 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्र के बाहर हुई है।
- इस हिसाब से यह वृद्धि पिछले आकलन की तुलना में 3 करोड़ 80 लाख घन मीटर रही।