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भारतीय राजनीतिक विचारक – दादा भाई नौरोजी
ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ़ इंडिया ( महान पितामह ), इनका जन्म 4 सितंबर 1825 बंबई में पारसी परिवार में हुआ, मृत्यु 30 जून 1917 को हुई। नौरोजी आधुनिक भारत के सुलझे हुए अर्थशास्त्रवेता साम्राज्यवाद के आलोचक और भारतीय राष्ट्रवाद के अग्रदूत के रूप में विख्यात हैं ।
1845 में बंबई के एल्फिंस्टन कालेज से स्नातक परीक्षा पास की प्रारंभ में 10 वर्ष उंन्होने अध्यापन कार्य किया 1874 में वे बडोदा महाराज के दीवान बने किन्तु अंग्रेज रेजिडेंट ने उनसे नाराज होकर नौकरी से निकलवा दिया
इसके बाद वे वापस इंग्लैंड के और अपना शेष जीवन देश सेवा और सार्वजनिक कार्य में बिताया समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्र में उनका महान योगदान रहा।
उनके आर्थिक विचार पावर्टी एंड अन ब्रिटिश रूल इन इंडिया 1871 मैं वर्णित है। उनके आर्थिक विचारों में “धन की निकासी” या “निर्गमन का सिद्धांत” प्रमुख है। अंग्रेजों ने विभिन्न साधन द्वारा भारत का जो आर्थिक शोषण किया जिसका परिणाम भारत में गरीबी बेरोजगारी व इंग्लैंड का लाभ था उसे नौरोजी ने “नैतिक दोहन” की संज्ञा दी है।
नौरोजी के तरीके अन्याय सबसे ताकतवर सरकार को भी धूल में मिला देता है उन्हें तर्क दिया कि पाशविक शक्ति साम्राज्य का निर्माण कर सकती है परंतु मैं उससे कायम नहीं रख सकती ।
“अंग्रेजी शोषण गुपचुप तरीके का है इसकी भनक किसी को नहीं लगती है अंग्रेजी राज में देसी राजाओं की लूटपाट तथा हिंसा से मुक्ति मिली लेकिन गरीबी भुखमरी अकाल तथा व्याधियों से निजात पाना कठिन हो गया है।” – दादाभाई नौरोजी
नैतिक अफवाह:- उच्च पदों की सारी नियुक्तियां केवल अंग्रेजों के लिए सुरक्षित थी। भारत के लोग बहुत से बहुत कलरक, कुली ,मजदूर बन सकते थे। ब्रिटेन के सर्वोच्च नियंत्रण और मार्गदर्शन के अंतर्गत भारत में स्वशासन की स्थापना का सुझाव दिया।
दादा भाई नौरोजी ने मुंबई में 1851 मैं रस्त गोफ्तार नाम के गुजराती पाक्षिक समाचार पत्र की स्थापना की। उन्होंने “हिंदुस्तानी” तथा “एडवोकेट्स ऑफ इंडिया” नामक अखबारों का भी संपादन किया। दादा भाई नौरोजी ने 1851 में नौरोजी फरदोनजी तथा S.S. बंगाली के साथ मिलकर पारसी सुधार आंदोलन के लिए “रहनुमा ए मज्दयासन सभा” की स्थापना बंबई में की।
दादाभाई नौरोजी प्रमुख उदारवादी व नरमपंथी नेता थे। उन्होंने 1866 में लंदन में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की।
दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर ही “भारतीय राष्ट्रीय संघ” का नाम बदलकर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” रखा गया।
“ब्रिटिश सरकार अब प्रशासन के रूसी जारशाही तरीके अपना रही है। प्रेस का गला घोटने का का परिणाम उसके लिए आत्मघाती कदम होगा।” – दादाभाई नौरोजी
“राजा जनता के लिए बने हैं जनता राजा के लिए नहीं।” – दादाभाई नौरोजी
दादाभाई नौरोजी ने दिनशा वाचा को 905 में लिखे पत्र में कांग्रेस को नई पीढ़ी में प्राण फूंकने का साधन बताकर “क्रांति” का आवाहन किया।
दादाभाई नौरोजी की प्रमुख पुस्तकें:-
- पावर्टी एंड अन ब्रिटिश रूल इन इंडिया
- स्पीच एंड राइटिंग
- ग्रांट ऑफ इंडिया
- पावर्टी इन इंडिया
कांग्रेस की अध्यक्षता :-
यह कांग्रेस की तीन बार अध्यक्ष रहे
- 1886 ( कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन जो कोलकाता में हुआ)।
- 1893 ( कांग्रेस का 9 वां अधिवेशन जो लाहौर में हुआ)।
- 1906 ( कांग्रेस का 22 वां अधिवेशन जो कोलकाता में हुआ इसी अधिवेशन में नौरोजी ने सर्वप्रथम स्वराज्य शब्द का प्रयोग किया था)।
दादाभाई नौरोजी के प्रमुख विचार:-
- नौरोजी गोखले की भाति उदारवादी राष्ट्रवादी थे और अंग्रेजी में न्यायप्रियता में विश्वास रखते ।
- भारत के लिए ब्रिटिश शासन को वरदान मानते थे ।
- स्वदेशी और बहिष्कार का सांकेतिक रूप से प्रयोग करने पर बल देते थे ।
- उन्होंने सर्वप्रथम भारत का आर्थिक आधार पर अध्ययन किया
पत्रकारिता-
1851 में मुंबई में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए और मुस्लिम समुदाय के अपराधी तत्वों के द्वारा कई सप्ताह तक पारसी मोहल्ला में आक्रमण किए जाते रहे इन हमलों के समय पुलिस निष्क्रिय रही इसके बाद ऐसी घटनाओं को प्रकाशित लाने के लिए दादाभाई नौरोजी ने गुजराती में “रस गुप्त तार” नामक पक्षी पत्र प्रारंभ किया बाद में उन्होंने 1882 में “वॉइस ऑफ इंडिया” नामक अखबार प्रारंभ किया इसमें भारत की विषम समस्याओं को उजागर किया गया
राजनीतिक गतिविधियां-
दादाभाई नौरोजी को भारत में नरम दल का संस्थापक माना जाता है वे यह मानते थे कि अंग्रेजों में समानता न्यायप्रियता निष्पक्षता की भावना जन्म जात हैं उन्हें हमारी आवश्यकताओं तथा अंग्रेज अधिकारियों के कुशासन की बात ठीक प्रकार मालूम हो सके तो अवश्य ही भारतीयों का हित साधन करेंगे 1852 में संसद को ज्ञापन देने के लिए बने बंबई एसोसिएशन में काफी सक्रिय रहे वह 1865 में इंग्लैंड में अंग्रेजों तक बात पहुंचाने के लिए निर्मित लंदन इंडिया सोसाइटी के अध्यक्ष थे कांग्रेस के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही और इसके दूसरे की कोलकाता अधिवेशन में उन्हे अध्यक्ष बनाया गया 1891 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में फिर उन्हें अध्यक्ष बनाया गया 1906 के कोलकाता अधिवेशन में कांग्रेस में बंग भंग विरोधी आंदोलन के कारण गरम दल का वर्चस्व बढ़ रहा था तथा एक सामान्य व्यक्ति को नेतृत्व देने की आवश्यकता थी ऐसे समय में फिर से उन्हें अध्यक्ष चुना गया यहां उन्होंने कांग्रेस का उद्देश्य स्वराज्य बताया वे 1892 में ब्रिटिश संसद के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय थे इंग्लैंड में भारत के पक्ष में वातावरण बनाने में उनका प्रमुख योगदान रहा
धन निष्कासन का सिद्धांत दिया
दादा भाई नौरोजी ने भारत की भीषण गरीबी का कारण भारत के धन का लगातार इंग्लैंड द्वारा निष्कासन बताया उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्यता चार प्रकार से भारत से धन इंग्लैंड चला जाता है और यही भारत की गरीबी का मुख्य कारण है
इसके बाद आर सी दत्त ने “इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया “पुस्तक लिखी और दिनेश वाचा “नेशनल इनकम” नामक पुस्तक लिखी थी ।
दादाभाई नौरोजी ने भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का आकलन का प्रयास किया था नौरोजी आर्थिक धन निष्कासन का सिद्धांत देते हैं उसे आर्थिक बहिर्गमन का सिद्धांत कहते हैं
इस अवधारणा के अनुसार अंग्रेजी शासन के दौरान बड़ी मात्रा में धन भारत से ब्रिटेन द्वारा अधिकारियों के वेतन पेंशन के रूप में घूसखोरी से प्राप्त धन का विरोध कंपनियों के ठेके का लाभ इस आर्थिक धन निष्कासन के कारण भारत का शिकार हो रहा है इसलिए भारत को अकाल महामारी का सामना करना पड़ रहा है उनके साथ भी चर्चा करते हैं अंग्रेज अधिकारी कर्मचारी अपने अनुभव को भारत में ले जा रहे हैं।
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No of Questions – 25
Share your Results:प्रश्न=01.किस भारतीय विचारक को 'दी ग्रेंड ओल्ड में ऑफ इंडिया 'की संज्ञा दी जाती है ?
प्रश्न=02.दादाभाई नोरोजी प्रमुख विचारक थे ?
प्रश्न=03.सन 1906 में कांग्रेस के अद्यक्षीय भाषण में सर्वप्रथम किसने स्वराज्य का मंत्र दिया ?
प्रश्न=04.'पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया ' के लेखक है ?
प्रश्न=05 यह कथन किसका है,"अन्याय सबसे ताकतवर सरकार को भी धूल में मिला देती है" ?
प्रश्न=06.नोरोजी ने इंग्लैंड में रहकर ब्रिटिश संसद के लिए चुनाव लड़ा था ,कब ?
प्रश्न=07.ईस्ट इंडिया एसोशिएशन की स्थापना किसने की ?
प्रश्न=08.ईस्ट इण्डिया एसोसिएशन की स्थापना कब हुई ?
प्रश्न=09.नोरोजी कांग्रेश के अध्यक्ष कब नही रहे ?
प्रश्न=10.किसने कहा कि ,"भारत के भविष्य कि सुरक्षा के लिए ,अंग्रेजों के प्रति निष्ठा आवश्यक है" ?
प्रश्र 11) किसके सुझाव पर भारतीय राष्ट्रीय संघ का नाम बदल कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रखा गया ?
प्रश्र 12) rast goftar Naam Ke Gujarati pakshik samachar patra ki sthapna Kisne ki thi ?
प्रश्र 13) दादाभाई नौरोजी कितनी बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष है
प्रश्र 14) Dadabhai naoroji थे ?
प्रश्र 15) Dadabhai naoroji East India company ki sthapna kab ki thi ?
प्रश्र 16) Dadabhai naoroji East India company ki sthapna kahan par ki thi ?
प्रश्र 17) भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय के आकलन का प्रयास किसने किया था ?
प्रश्र 18) Dadabhai naoroji Ne Bharat ka अध्ययन kiya tha ?
प्रश्र 19)स्पीच एण्ड राइटिग के लेखक कौन है ?
प्रश्न=20.सही विकल्प चुनिए ।(नोरोज़ी के संदर्भ में ) 1. नोरोज़ी ने तीन बार राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलनों की अध्यक्षता की । 2. 1886 में कलकत्ता अधिवेशन में उन्होंने स्वराज्य की मांग की 3. नोरोज़ी का मानना था कि ब्रिटेन अवनत मानवतावादी सभ्यता है । 4. तिलक ने नोरोज़ी की भारतीय स्वतंत्रता के लिए उदारवादी दृष्टि को भिक्षावृत्ति की संज्ञा दी। कूट:-
प्रश्न=21.नोरोज़ी के संदर्भ में गलत कथन बताइए
प्रश्न.22. सर्वप्रथम स्वराज्य शब्द का प्रयोग किसने किया ?
प्रश्न.23.आर्थिक निर्गम सिद्धान्त के प्रतिपादक है-
प्रश्न-24. " भारत के दुःखो और गलतियों का स्वशासन ही एकमात्र हल है । " यह कथन किसका है?
प्रश्न.25. नोरोजी ने 1851 में एक गुजराती पाक्षिक अख़बार का संपादन किया था वह है
Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )- पूनम छिंपा हनुमानगढ़, सुभिता मील, महेन्द्र चौहान, नवीन कुमार जी, नेमीचंद जी चावला टोंक, रवि जी जोधपुर, मुकेश पारीक ओसियाँ
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