Mahatma Gandhi Ethics ( महात्मा गांधी का नीतिशास्त्र )
गांधीवाद का तत्वज्ञान आधारभूत ज्ञान अपनी प्रकृति से आध्यात्मिक आध्यात्मिक भौतिक है गांधीवाद ईश्वर का अर्थ शाश्वत सत्य मानता है इस प्रकार गांधीवादी चिंतन सत्य ईश्वर तथा धर्म के आध्यात्मिक प्रत्यय व मूल विचार के आधार पर एक विस्तृत मानवतावादी विचारधारा को प्रस्तुत करता है
ईश्वर संबंधित मान्यता ,धर्म संबंधित मान्यता ,मानव संबंधित विचार ,कर्म लोकसेवा संबंधित विचार ,सत्य एवं अहिंसा पर आधारित विचारधारा ,
सत्य के लिए आग्रह करना -Virodhi के पीडा देकर नहीं अपितु स्वयम को पीड़ा का कष्ट में डाल कर सकते की रक्षा करना सत्याग्रह है या अन्य कुछ नहीं सकते के लिए तपस्या है
गांधीजी का नीतिशास्त्र उनके धार्मिक एवं दार्शनिक विचारों पर आधारित है
- ईश्वर की सच्ची आराधना कहा है= मानव सेवा को
- गांधी जी ने सत्य या ईश्वर की प्राप्ति के लिए साधन के रुप में स्वीकार किया है= अहिंसा एवं प्रेम को
- अहिंसा का निषेधात्मक पक्ष है= किसी जीव को कोई कष्ट नहीं पहुंचाना
- अहिंसा का भावात्मक पक्ष है= आत्म शुद्धि आत्म संयम प्रेम सहानुभूति
- अपनी मांगों पर अहिंसात्मक एवं शांतिपूर्ण ढंग से दृढ़ रहना है= सत्याग्रह
- साध्य एवं साधन दोनों की पवित्रता कोअपनाया है= गांधी जी ने ( जबकि चाणक्य चार्वाक मार्क्स आदि विचारक केवल साध्य पर ही ध्यान देते थे)
- धर्म को राजनीति में उतारने का सर्वप्रथम श्रेय दिया जा सकता है= गांधी जी को
- गांधी जी का अखंड विश्वास था= सर्वोदय में
- सर्वोदय अर्थात प्रत्येक वर्ग का उद्धार एवं उत्थान ( जबकि पाश्चात्य उपयोगितावादी अधिकतम व्यक्तियों के ही हितों पर ध्यान देते थे)
- गांधीजी के अनुसार सबसे बड़ा प्रजातंत्रवादी है= ईश्वर
- गांधीजी जिस समाज की कल्पना करते थे वह है= राज्य विहीन समाज
- गांधीजी के अनुसार नैतिक नियम हैं= बुद्धि एवं आत्मा के आदेश
- नैतिक मापदंड है= आत्मा की आवाज
- मनुष्य की इंद्रियों के दमन की बात कहने के कारण गांधीवादी नीति पर आलोचकों द्वारा आरोप लगाया जाता है= कठोरता वाद का
Play Quiz
No of Questions-27
There is no question
This is really useful, thanks.
Thank you for the terrific post
I spent a great deal of time to find something such as this