किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले अभिलम्ब बल को दाब (Pressure) कहते हैं। अत: क्षेत्रफल जितना बड़ा होगा दाब उतना ही कम होगा और क्षेत्रफल जितना कम होगा दाब उतना ही आधिक होगा इसकी इकाई ‘न्यूटन प्रति वर्ग मीटर’ होती है जिसे अब पास्कल कहते है
पास्कल (Pa), बराबर एक न्यूटन प्रति वर्ग मीटर (N·m−2 या kg·m−1·s−2). इकाई का यह विशेष नाम 1971 में जुडा़ था। यह मात्रक द्रवो का विस्तृत अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक ब्लेज़ पास्कल के सम्मान में रखा गया है दबाव एक अदिश राशि है इसकी SI इकाई पास्कल है;
दाब p= h × d × g
1 Pa = 1 N/m2
दाब = पृष्ठ के लम्बवत् बल / पृष्ठ का क्षेत्रफल
किसी वस्तु का क्षेत्रफल जितना कम होता है, वह सतह पर उतना ही अधिक दाब डालती है, इसके दैनिक जीवन में अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं, जैसे दलदल में फंसे व्यक्ति को लेट जाने की सलाह दी जाती है ताकि उसके शरीर का अधिक क्षेत्रफल दलदल के सम्पर्क में आ जाय व नीचे की ओर कम दाब लगे। कील का निचला हिस्सा नुकीला बनाया जाता है ताकि क्षेत्रफल कम होने से वह सतह पर अधिक दाब डाल सके व ठोंकने पर आसानी से गड़ जाये।
दाब, ताप और आयतन में संबंध आदर्श गेस समीकरण द्वारा दिया जाता है
PV=nRT
P=pressure
V=volume
n=no. Of moles
R= constant
T=temprature
इस समीकरण का उपयोग करके हम निम्न नियम उत्पादित कर सकते है::
बॉयल का नियम { ट्रिक गर्मी से संबधित ह इसलिए ताप को स्थिर} – इसके अनुसार यदि तापमान को स्थिर रखते हुए आयतन को बढ़ाया जाए तो दाब में कमी होती है अर्थात दाब और आयतन एक दूसरे के व्युत्क्रमानुपाती होते ह।
P $ (1/V)
चार्ल्स का नियम:: इसके अनुसार यदि दाब को स्थिर रखते हुए ताप को बढ़ाया जाए तो आयतन में वृद्धि होती है अर्थात आयतन और तापमान एक दूसरे के समानुपाती होते हैं
V $ T
आवोगाद्रो का नियम :: इस नियम के अनुसार किसी निश्चित किसी गैस के निश्चित वॉल्यूम निश्चित तापमान निश्चित दाब पर गैसों में मोलो की संख्या समान होती है।
STP : stands for temperature and pressure
I.e. air at 0°C (273.15 K, 32°F) and pressure 10^5 pascals (1 bar).
Table of Contents
संकेतों के अर्थ
- T – ताप
- N – मोलों की संख्या
- n – अणुओं की संख्या
- m – गैस का द्रव्यमान
- ρ – घनत्व
- V – आयतन
- Vm – मोलर आयतन
- kB – बोल्ट्जमान नियतांक
- R – सार्वत्रिक गैस नियतांक
- Rs – विशिष्ट गैस नियतांक
पास्कल का सिद्धान्त
जल-स्तम्भ के दबाव के कारण पीपे (barrel) का फटना। सन् 1646 में पास्कल ने यही प्रयोग किया था। पास्कल का सिद्धान्त या पास्कल का नियम द्रवस्थैतिकी में दाब से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। इसे फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने प्रतिपादित किया था। यह सिद्धान्त इस प्रकार है –
सब तरफ से घिरे तथा असंपीड्य ( in compressible ) द्रव में यदि किसी बिन्दु पर दाब परिवर्तित किया जाता है (घटाया या बढ़ाया जाता है) तो उस द्रव के अन्दर के प्रत्येक बिन्दु पर दाब में उतना ही परिवर्तन होगा।
वायुमंडलीय दाब
पृथ्वी के एक निश्चित क्षेत्रफल पर वायुमंडल की सभी परतों द्वारा पढ़ने वाला दाब ही वायुमंडलीय दाब कहलाता है । अधिकांश परिस्थितियों मैं वायुमंडलीय दाब का लगभग सही अनुमान मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के भार द्वारा लगाए गए द्रव स्थैतिक द्वारा लगाया जाता है ।
स्थान बदलने पर वायुमंडलीय दाब का मान कम या अधिक होना उन स्थानों के ऊपर वायुमंडलीय स्तंभों के द्रव्यमान का कम या अधिक होना है । इसीलिए पृथ्वी तल से ऊंचाई पर जाने से वायुमंडलीय दाब कम हो जाता है और गहराई में जाने पर अधिक हो जाता है !
समुद्र तल पर वायुमंडलीय दाब का मान 1.0135×100000 Pa होता है जिसे 1atm से व्यक्त करते हैं
बैरोमीटर या वायुदाबमापी एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से किसी स्थान पर वायुमंडलीय दाब की माप की जाती है वायुदाब मापने के लिए सामान्यतः पारे का प्रयोग किया जाता है !
समुद्र तल पर बैरोमीटर मैं पारे के स्तंभ की ऊंचाई 76 सेंटीमीटर के लगभग होती है! जो पारे के 76 सेमी लंबे कॉलम के द्वारा 0℃ पर 45° अक्षांश पर समुद्र तल पर लगाया जाता है यह एक वर्ग सेमी अनुप्रस्थ काट वाले पारे के 76 सेमी लंबे कॉलम के भार के बराबर होता है मौसम विज्ञान में दाब का मात्रक बार लिया जाता है।
1 bar =2 kPa
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