राजस्थान में पशुधन पश्चिमी राजस्थान की अर्थव्यवस्था का आधार है। राजस्थान में कृषि व पशुपालन दोनों ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
राजस्थान में पशु संपदा के आकलन के लिए राजस्व मंडल अजमेर द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष के अंतराल पर पशु गणना करवाई जाती है राजस्थान व भारत में प्रथम पशु गणना दिसंबर 1919 से 1920 के मध्य हुई 1919 की इस पशुगणना में राजस्थान की जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, कोटा, बूंदी, टोंक, किशनगढ़ आदि रियासतों में प्रथम पशु गणना हुई
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सर्वप्रथम 1951 में पशु गणना हुई उस समय राजस्थान में 2.41करोड पशु थे राजस्थान में चारा विकास योजना 1959 ई. में शुरू की गई।
राज्य में 1970 ई. में श्वेत क्रांति की शुरुआत हुई। राजस्थान में केंद्रीय पशु प्रजनन केंद्र सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) तथा चारा बीज उत्पादन फार्म मोहनगढ़ (जैसलमेर) में स्थापित हैं। 1973 ई. में राजस्थान में डेयरी विकास की स्थापना की गई। 1975 ई. में राजस्थान राज्य डेयरी विकास निगम की स्थापना की गई।
15 अक्टूबर 2007 की पशु गणना राजस्थान की 18 वीं पशु गणना थी यह ऐसी पशुगणना है जो नस्ल के आधार पर की गई है
राजस्थान की 19 वीं पशु गणना 2012 में करवाई गई जिस के प्रमुख अधिकारी श्री भंवरलाल हैं राजस्थान में सर्वाधिक पशुधन बाड़मेर और सबसे कम पशुधन धौलपुर जिले में है राजस्थान में सर्वाधिक पशु घनत्व दौसा और सबसे कम पशु घनत्व जैसलमेर जिले में है
राजस्थान सरकार ने पशुओं के स्वास्थ्य उनका विकास की सुरक्षा के लिए 1957 में पशुपालन विभाग की स्थापना की 1963-64 में भेड़ व ऊन विभाग की स्थापना की गई 2000 व 2001 में इन दोनों विभागों का विलय कर पशुपालन डेयरी विकास विभाग के नाम से नया विभाग बनाया गया
रोग निरोधक टीका के उत्पादन हेतु प्रादेशिक पशुचिकित्सा जैविक इकाई जामडोली जयपुर में है राज्य स्तरीय रेडियोलोजी इकाई अजमेर व जयपुर में है क्षय रोग इकाइयां जयपुर, कोटा और उदयपुर में है और रेबिज नियंत्रण इकाई अजमेर, जयपुर में है
राजस्थान में 1993 ई. में ‘राजस्थान राज्य पशु चिकित्सा परिषद’ की स्थापना की गई। राजस्थान में भारत का 10.75% पशुधन पाया जाता है तथा कुल पशु शक्ति का 35% तथा राजस्थान की अर्थव्यवस्था में पशुधन का अंश 19.03 प्रतिशत हैं।
राजस्थान में भैंस प्रजनन केंद्र उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के नवानिया गांव में स्थापित हैं। राजस्थान की दूध पैदा करने वाली सरकारी एजेंसी ‘सरस’ है
राजस्थान में 2012 के अंतिम पशु गणना के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 5.77 करोड पशु एवम् 80.24 लाख मुर्गियां है वर्ष 2007 की तुलना में 2012 में राज्य की पशु संपदा में 1.06 लाख (1.89) प्रतिशत की वृद्धि हुई है इस पशु गणना में सर्वाधिक वृद्धि गायों में देखी गई जबकि न्यूनतम वृद्धि ऊंट एवं गधे में रही
भारत का मवेशियों की संख्या के लिहाज से विश्व में दूसरा स्थान है तो पशु संपदा की दृष्टि से राजस्थान का देश में दूसरा स्थान है प्रथम उत्तर प्रदेश
Table of Contents
पशुओं के प्रकार एवं नस्ल ( breeds of animals )
भैंस की नस्ल ( buffalo breed )
- भैंस वंस की दृष्टि से देश में उत्तर प्रदेश ”प्रथम स्थान’ ‘जबकि राजस्थान का दूसरा स्थान है ,
- राजस्थान में सर्वाधिक भैंस जयपुर में जबकि न्यूनतम भैंस जैसलमेर में पाई जाती है
- मुर्रा अर्थात खुण्डी भैंस वंश – मूल उत्पत्ति मोंटूगुमरी (मुल्तान- पाकिस्तान ) यह भैंस की सर्वश्रेष्ठ नस्ल है
- राजस्थान में इसी वंश की सर्वाधिक भैंसे पाई जाती हैं
- प्रजनन केंद्र – कुम्हेर भरतपुर ,डग झालावाड़ व नागौर में है
- भदावरी भैंस नस्ल – मूल उत्पति स्थल – उत्तर प्रदेश हैं
- इस भैंस के दूध में सर्वाधिक वसा पाया जाता है
- जाफरावादी भैंस वंश- मूल उत्पति गुजरात का काठियावाड़ क्षेत्र
- इस नस्ल की मादा को सर्वश्रेष्ठ ताकतवर मादा पुरस्कार 2004 मिला है
- सुरती भैंस वंश – मूल उत्पति गुजरात क्षेत्र में है
♦अन्य भैंस की नस्लें♦
जमुनापुरी ,नागपुरी ,पाण्डरपुरी, राबी, महसाना ,रथ आदि |
भैंस प्रजनन केंद्र- वल्लभनगर , उदयपुर में (महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित)
गोवंश ( Cow breed )
राजस्थान मे 2012 मे 133.24 लाख गोवशं है राजस्थान में सर्वाधिक गोवंश उदयपुर जिले में है
राजस्थान में गोवंश की प्रमुख नस्ले
नागौरी
इसकी उत्पत्ति का क्षेत्र नागौर जिले का सोहालक क्षेत्र है इस नस्ल की गाय कम दूध देती हैं इनके बैल चुस्त एवं फुर्तीले होते हैं
थारपारकर
इनकी उत्पत्ति का क्षेत्र बाड़मेर जिले का मालानी क्षेत्र है यह गाये अधिक दूध देती हैं बैल परिश्रमी होते हैं यह बाड़मेर जोधपुर और जैसलमेर जिलों में मिलती हैं
कांकरेज
यह गाये बाड़मेर पाली और जालोर के सांचौर तथा बेनार क्षेत्र में पाई जाती हैं
मालवी
इस वंश का उत्पत्ति क्षेत्र झालावाड़ का मालव प्रदेश है इस वंश की 2 जातियां हैं बड़ी मालवी & छोटी मालवी ! बड़ी मालववी झालावाड़ में मिलती है जबकि छोटी मालवी कोटा जिले में मिलती है
गिर
यह दूध देने के लिए प्रसिद्ध है इस वंश की गाएं अजमेर भीलवाड़ा और पाली जिले में पाई जाती हैं इन्हें रेंडा और अजमेरा कहते हैं
मेवाती
इस नस्ल की गाय और बैल अलवर जिले के पूर्वी भाग में मिलते हैं इसके अलावा भरतपुर जिले में भी मिलती हैं
हरियाणा
इस नस्ल की गाय दूध देने के लिए प्रसिद्ध है यह नस्ल गंगानगर सीकर झुंझुनू अलवर जयपुर जिले में मिलती हैं
राठी
इस नस्ल की गाय दूध देने के लिए प्रसिद्ध है यह बीकानेर गंगानगर जैसलमेर के उत्तरी पूर्वी भागों में मिलते हैं इस वंश में साहिवाल लाल सिंधी व हरियाणा नस्ल का मिश्रण है
गोवंश सुधार योजनाएं
- देशी गोवंश नस्ल सुधार कार्यक्रम
- गोपाल कार्यक्रम
- कामधेनु योजना
राजस्थान में ऊँट ( Camels in Rajasthan )
सर्वाधिक ऊँट – बाड़मेर, बीकानेर & हनुमानगढ
न्यूनतम – धौलपुर
प्रमुख नस्ले- बीकानेरी, जैसलमेरी, सिंधी, अलवरी, कच्छी
ऊँट मे राज्य का देश में प्रथम स्थान हैै नाचना का ऊंट भारत में नाचने के लिए प्रसिद्ध है ऊंट सवारी और रेतीले भागने दौड़ने के लिए जैसलमेरी प्रसिद्ध है
चिंकारा के साथ ऊंट भी अभी राज्य पशु बन गया है 19 सितंबर 2014 को सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी
राज्य पशु ऊंट की तस्करी और उसको मारने से रोकने के लिए राजस्थान ऊंट वध प्रतिरोध और अस्थाई प्रजनन एवं निर्यात का विनियमन अधिनियम 2014 को राष्ट्रपति ने 21 दिसंबर 2014 को मंजूरी दे दी है
बकरी वंश ( Goat breed )
बकरी को गरीब की गाय कहते है बकरी वंश में राज.का देश में प्रथम स्थान है राज. में सर्वाधिक बकरियाँ बाड़मेर में तथा सबसे कम धौलपुर में है नागौर के वरुण गांव की बकरियाँ देश भर में प्रशिद्ध है केंद्रीय बकरी अनुसंधान संसथान अविकानगर (टोंक) में है
बकरी की नस्ले –
1.मारवाड़ी-राज. में सर्वाधिक बकरी इसी नस्ल की है
2.सिरोही-इसका प्रजनन केंद्र रामसर (अजमेर )में है
3.शेखवटी-यह राज.की एक मात्र बिना सींग वाली बकरी है
4.जमनापरी-यह बहुप्रयोजनीये नस्ल है
5.अन्य नस्ले-
1.बारबरी
2.लोही
3.परबतसरी
Rajasthan Animal Fair ( राजस्थान के पशु मेले )
मल्लीनाथ पशु मेला स्थान- तिलवाड़ा जिला बाड़मेर नस्ल-थारपारकर एवं कांकरेज यहां मेला चैत्र कृष्ण 11से चैत्र शुक्ल तक रहता है।
चंद्रभागा पशु मेला स्थान- झालरापाटन,झालावाड़ नस्ल-मालवी यह मेला-कार्तिक शुक्ल 4 से मार्गशीर्ष कृष्ण 5 तक मेला लगता है।
गोगामेडी पशु मेला स्थान- गोगामेडी,हनुमानगढ़ नस्ल-हरियाणवी यह मेला-श्रावण शुक्ल 15 से भाद्रपद शुक्ल 15 तक यहां मेला लगता है।
- रामदेव पशु मेला, नागौर
- श्री बलदेव पशु मेला, मेड़ता सिटी
- गोमती सागर पशु मेला,झालरापाटन
- वीर तेजाजी पशु मेला, परबतसर
- श्री जसवंत प्रदर्शनी पशु मेला,अलवर
- पुष्कर पशु मेला,पुष्कर
- शिवरात्रि पशु मेला,करौली
Quiz
Question – 40
Share your Results:प्र-1.. विश्व में बकरी की वह एकमात्र नस्ल जिसके सींग नहीं होते हैं??
प्र-2.. एल्पाइन एवं टोगनबर्ग नस्ल किस पशु की है जिसे राज्य में स्विजरलैंड से मंगवाया गया है??
प्र-3.. राजस्थान में बकरी की उस नस्ल का नाम बताइए जो सर्वाधिक दूध देती है और बहरोड़( अलवर )में पाई जाती है??
प्र-4.. लगभग 75% काले मुंह और 25% सफेद मुंह वाली बागड़ी नस्ल की भेड़ राजस्थान के किस जिले में पाई जाती है??
प्र-5.. अकाल की भीषण परिस्थितियों में उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता वाले पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारा उपलब्ध करवाने की योजना है??
प्र-6.. किस जंतु को भाखर भोमिया (पहाड़ियों का स्वामी) के नाम से जाना जाता है??
प्र-7.. मधुमेह रोगियों के लाभार्थ ऊँटनी के प्रसंस्कृत दुग्ध का विपणन किसके द्वारा किया जाता है??
प्र-8.. राजस्थान में सबसे कम दुग्ध उत्पादन किस जिले में होता है??
प्र-9.. पशु की आयु निर्धारित करने की सर्वोत्तम और वैज्ञानिक विधि है??
प्र-10.. पशुओं का वजन किस सूत्र के द्वारा ज्ञात किया जाता है??
प्र-11.. राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन द्वारा किन जिलों में नए डेयरी प्लांट की स्थापना की जा रही है??
प्र-12.. कौन से जिले में बाकलिया फार्म पर भैंस पालन योजना आरंभ की गई है??
प्र-13.. भारत सरकार द्वारा राजस्थान के किस जिले में एक हाइड्रो बायोलॉजिकल प्रयोगशाला की स्थापना की जा रही है??
प्र-14.. राज्य का पहला फ्रोजन सीमन बैंक कहां और कब स्थापित किया गया??
प्र-15.. राज्य में केंद्र प्रवर्तित योजना के तहत मधुमक्खी पालन किन-किन जिलों में प्रारंभ किया गया है??
प्रश्न=16- विश्व मत्स्य दिवस कब मनाया जाता है?
प्रश्न=17- पाइका है?
प्रश्न=18- असंगत छांटिए?
प्रश्न=19- पशु संगणना की जाती है?
प्रश्न=2०- देश में 19वीं पशु गणना के अनुसार कुल पशुधन कितना है?
प्रश्न=21- सर्रा रोग पाया जाता है?
प्रश्न=22- बकरी विकास योजना में निम्न कथनों पर विचार कीजिए? सत्य कथन छांटिए 1 अनुसूचित जाति जनजाति के BPL परिवारों को प्राथमिकता 2 योजना मे उन्हीं बकरी पालकों का चयन किया जाएगा जो पूर्व से ही न्यूनतम 3 बकरियों का पालन प्रतिवर्ष कर रहे हैं 3 एक परिवार से एक से अधिक सदस्यों को योजना का लाभ दे होगा 4 लाभार्थी बकरी पालकों के चयन में न्यूनतम 25% महिला बकरी पालकों का चयन अनिवार्य होगा
प्रश्न=23- राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र कहां स्थित है?x
प्रश्न=24- सुमेलित है?
प्रश्न =25- किस पशु मेले में मुर्रा नस्ल की भैंसों का क्रय-विक्रय मुख्य रूप से होता है?
प्रश्न=26- राजस्थान में "पशु चिकित्सालय पशुपालक के द्वारा योजना" कब प्रारंभ की गई?
प्रश्न=27- ऑपरेशन फ्लड का प्रमुख उद्देश्य हैं?
प्रश्न=28- राज्य में "सीड मल्टीप्लीकेशन फार्म की स्थापना की गई है?
प्रश्न=29- राज्य में डेयरी विकास एवं दुग्ध वितरण की दृष्टि से शीर्ष संस्था है?
प्रश्न=30- राज्य में सर्वाधिक अक्षमता वाले डेयरी संयंत्र स्थापित हैं?
प्रश्न=31- राज्य का पशु संपदा की दृष्टि से देश में स्थान हैं?
प्रश्न=32- भैंसों की दृष्टि से राज्य का देश में स्थान है?
प्रश्न 33- निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है? क्षेत्र नस्ल
प्रश्न=34- पशु संपदा के वितरण की दृष्टि से 'रथ क्षेत्र' किस जिले में हैं?
प्रश्न=35- राजस्थान में गोपाल योजना कब शुरू की गई?
प्रश्न=36- राज्य में बकरी विकास एवं चारा उत्पादन परियोजना किस देश के सहयोग से शुरू की गई?
प्रश्न=37- आर.सी.डी.एफ. द्वारा "सीड मल्टीप्लीकेशन फार्म" को बीकानेर में कहां स्थापित किया गया?
प्रश्न=38- "राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड" द्वारा सरस स्वास्थ्य सुरक्षा कवच किसके सहयोग से प्रारंभ की?
प्रश्न=39- "गोवत्स परिपालन केंद्र" कहां स्थापित है?
प्रश्न=40- कौन सा पशु मेला कार्तिक शुक्ल 8 से मार्गशीर्ष कृष्ण 2 तक लगता है?
Specially thanks to ( With Regards ) – राजवीर प्रजापत चूरू, अलीखान जैसलमेर, राजवीर प्रजापत चूरू, ममता शर्मा, विनोद कुमार गरासिया बाँसवाड़ा, कमल सिंह राजावत टोंक, राकेश गोयल, प्रियंका गर्ग,