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Rajasthan Fair ( राजस्थान के मेले )
1. बेणेश्वर धाम मेला डूंगरपुर
- सोम , माही व जाखम नदियों के संगम पर मेला भरता है।
- यह मेला माघ पूर्णिमा को भरता हैं
- इस मेले को बागड़ का पुष्कर व आदिवासियों मेला भी कहते है। प्राचीन शिवलिंग स्थित है।
- संत माव जी को बेणेश्वर धाम पर ज्ञान की प्राप्ति हुई।
2. घोटिया अम्बा मेला (बांसवाडा)
- यह मेला चैत्र अमावस्या को भरता है।
- इस मेले को “भीलों का कुम्भ” कहते है।
3. भूरिया बाबा/ गोतमेश्वर मेला (अरणोद-प्रतापगढ़)
- यह मेला वैशाख पूर्णिमा को भरता हैं
- इस मेले को “मीणा जनजाति का कुम्भ” कहते है।
4. चैथ माता का मेला (चैथ का बरवाडा – सवाई माधोपुर)
- यह मेला माध कृष्ण चतुर्थी को भरता है।
- इस मेले को “कंजर जनजाति का कुम्भ” कहते है।
5. गौर का मेला (सिरोही)
- यह मेला वैशाख पूर्णिमा को भरता है।
- इस मेले को ‘ गरासिया जनजाति का कुम्भ’ कहते है।
6. सीताबाड़ी का मेला (केलवाड़ा – बांरा)
- यह मेला ज्येष्ठ अमावस्या को भरता है।
- इस मेले को “सहरिया जनजाति का कुम्भ” कहते है।
- हाडौती अंचल का सबसे बडा मेला है।
7. पुष्कर मेला (पुष्कर अजमेर)
- यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।
- मेरवाड़ा का सबसे बड़ा मेला है।
- इस मेले के साथ-2 पशु मेले का भी आयोजन होता है जिसे गिर नस्ल का व्यापार होता है।
- यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का मेला है।
- इस मेले को “तीर्थो का मामा” कहते है।
- यह राजस्थान का सबसे रंगीन मेला है।
8. कपिल मुनि का मेला (कोलायत-बीकानेर)
- यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।
- मुख्य आकर्षण “कोलायत झील पर दीपदान” है।
- कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रणेता थे।जंगल प्रेदश का सबसे बड़ा मेला कहलाता है।
9. साहवा का मेला (चूरू)
- यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।
- सिंख धर्म का सबसे बड़ा मेला है।
10. चन्द्रभागा मेला (झालरापाटन -झालावाड़)
- यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।
- चन्द्रभागा नदी पर बने शिवालय में पूजन होता हैं
- झालरापाटन को घण्टियों का शहर कहते है।
इस मेले के साथ-2 पशु मेला भी आयोजित होता है, जिसमें मुख्यतः मालवी नसल का व्यापार होता है।
राजस्थान के पशु मेले ( Animal Fairs of Rajasthan )
1. श्रीबलदेव पशु मेला मेड़ता सिटी (नागौर)
- इस मेले का आयोजन चेत्र मास के सुदी पक्ष में होता हैं
- नागौरी नस्ल से संबंधित है।
2. श्री वीर तेजाजी पशु मेला परबतसर (नागौर)
- श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक चलता है।
- इस मेले से राज्य सरकार को सर्वाधिक आय होती है।
3. रामदेव पशु मेलामानासर (नागौर)
- इस मेले का आयोजन मार्गशीर्ष माह में होता है।
- इस मेले में नागौरी किस्म के बैलों की सर्वाधिक बिक्री होती है।
4. गोमती सागर पशु मेला झालरापाटन (झालावाड़)
- इस मेले का आयोजन वैशाख माह में होता है।
- मालवी नस्ल से संबंधित है।यह पशु मेला हाडौती अंचल का सबसे बडा पशुमेला है।
5. चन्द्रभागा पशु मेला झालरापाटन (झालावाड़)
- कार्तिक माह में आयोजित होता है।
- मालवी नस्ल से संबंधित है।
6. पुष्कर पशु मेला
- कार्तिक माह मे आयोजित होता हैं
- इस मेले का आयोजन पुष्कर (अजमेर) में किया जाता है।
- गिर नस्ल से संबंधित है।
7. गोगामेड़ी पशु मेला नोहर (हनुमानगढ़)
- इस मेले का आयोजन भाद्रपद माह में होता है।
- नस्ल से संबंधित है।
- राजस्थान का सबसे लम्बी अवधि तक चलन वाला पशु मेला है।
8. शिवरात्री पशु मेला करौली
- फाल्गुन मास में आयोजित होता है।
- हरियाणवी नस्ल से संबंधित है।
9. जसवंत प्रदर्शनी एवं पुश मेला
- इस मेले का आयोजन आश्विन मास में होता है।
- हरियाणवी नस्ल से संबंधित है।
10. श्री मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाडा (बाङमेर)
- यह मेला चैत्र कृष्ण ग्यारस से चैत्र शुक्ल ग्यारस तक लूनी नदी के तट पर आयोजित किया जाता है।
- थारपारकर (मुख्यतः) व काॅकरेज नस्ल की बिक्री होती है।
- देशी महीनों के अनुसार सबसे पहले आने वाला पशु मेला है।
11. बहरोड़ पशु मेला बहरोड (अलवर)
- मुर्राह भैंस का व्यापार होता है।
12. बाबा रधुनाथ पुरी पशु मेला सांचैर (जालौर)में आयोजित होता है।
13. सेवडिया पशु मेला रानीवाडा (जालौर)
- रानीवाड़ा राज्य की सबसे बडी दुग्ध डेयरी है।
प्रमुख महोत्सव
- अन्तराष्ट्रीय मरू महोत्सव -जैसलमेर में। जनवरी – फरवरी माह में मनाया जाता है।
- अन्तर्राष्ट्रीय थार महोत्सव- बाड़मेर में, समय- फरवरी – मार्च
- तीज महोत्सव(छोटी तीज) -जयपुर में।, समय – श्रावण शुक्ल तृतीया
- जली/बड़ी/सातूडी तीज –बूंदी में।, समय-भाद्र कृष्ण तृतीया
- गणगौर महोत्सव- जयपुर में।, समय-चैत्र शुक्ल तृतीया
- कार्तिक महोत्सव- पुष्कर, अजमेर में।, समय- कार्तिक पूर्णिमा
- वेणेश्वर महोत्सव- डुंगरपुर।, समय-माघ पूर्णिमा
- ऊंट महोत्सव –बीकानेर ।, समय-जनवरी
- हाथी महोत्सव- जयपुर, समय- मार्च
- पतंग महोत्सव- जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर में, समय – जनवरी
- बैलून महोत्सव- बाड़मेर में।, समय – वर्ष में चार बार
- मेवाड़ महोत्सव- उदयपुर, समय- अप्रैल
- मारवाड़ महोत्सव- जोधपुर, समय- अक्टुबर
- शरद कालीन महोत्सव- माउण्ट आबू, समय- नवम्बर
- ग्रीष्म कालीन महोत्सव- माउण्ट आबू, समय- मई
- शेखावटी महोत्सव- चुरू – सीकर – झुंझुनू, समय- फरवरी
- ब्रज महोत्सव- भरतपुर, समय- फरवरी
Rajasthan Fair important Question and Quiz
प्रश्न.-1 राजस्थान के ऐसे कोनसे मेले है जिन पर रोक लगी हुई है
उत्तर- रानी सती का मेला झुंझनु व नारायणी माता का मेला अलवर।
प्रश्न.-2 बजरंग पशू मेला राजस्थान के किस जिले में आयोजित किया जाता हैं।
उत्तर-बाड़मेर जिले में।
प्रश्न.-3 राजस्थान का एक मात्र मेला जो आषाढ़ के महीने में आयोजित होता हैं?
उत्तर- माकड़ जी मेला अजमेर।
प्रश्न.-4 तीर्थराज मेले का सम्बंध किस जिले से है।
उत्तर- मचकुण्ड से (धौलपुर)
प्रश्न.-5 फूलडोल उत्सव मनाया जाता हैं।
उत्तर- रामस्नेही पंथ द्वारा।
प्रश्न.6 डिग्गी मेला राजस्थान के किस स्थान पर लगता है ?
उत्तर- डिग्गी मेला टोंक जिले के मालपुरा उपखंड पर भरता है
प्रश्न-7 डिग्गी नामक स्थान पर किस भगवान का मंदिर स्थित है ?
उत्तर- डिग्गी नामक स्थान पर कल्याण जी का मंदिर है जो कि भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है
प्रश्न-8 डिग्गी कल्याण जी में वर्ष में कितनी बार मेले का आयोजन किया जाता है ?
उत्तर- डिग्गी कल्याण जी में वर्ष में तीन बार श्रावण मास की अमावस्या, वैशाख पूर्णिमा और भाद्रपद मास की एकादशी को मेला का आयोजन होता है यहा राजस्थान के विभिन्न भागों के अतिरिक्त बंगाल बिहार और असम से भी यात्री आते हैं
प्रश्न-9 डिग्व कोन था ?
उत्तर- डिग्व चंद्रगिरि का राजा था जिसे उर्वशी ने कोढ़ी होने का श्राप दिया था इस शाप से भगवान विष्णु ने डिग्व का कौड़ी का रोग दूर किया था जिस स्थान पर राजा डिग्व का कौड़ी का रोग दूर हुआ उसी स्थान पर इसने कल्याण जी का मंदिर बनवाया
प्रश्न-10 टोंक जिले के मालपुरा उपखंड में स्थित डिग्गी के मंदिर का नाम कल्याण जी किस प्रकार बड़ा ?
उत्तर- डिग्गी के संबंध में किवदंती है कि इंद्र ने एक बार इंद्रलोक की अप्सरा उर्वशी से क्रुद्ध होकर 12 वर्ष तक उसे धरती पर रहने का दंड दिया। कुछ समय तक उर्वशी सप्त ऋषि के आश्रम मे रहीं मगर एक बार चंद्र गिरी के राजा ने उसे देखा तो वह उस पर मोहित हो गए और उसे अपने महलों में ले आए उर्वशी इस शर्त पर राजा डिग्व के साथ आएगी
जब इंद्र उसे लेने आए तो वह उसे इंद्र से बचाएगा 12 वर्ष पश्चात इंद्र उर्वशी को लेने धरती पर आया इंद्र ने भगवान विष्णु की सहायता से युद्ध में राजा डिग्व को परास्त किया और उर्वशी को ले गया शर्त के अनुसार राजा डिग्व उर्वशी को नहीं बचा पाए इस कारण उर्वशी ने उन्हें कोढ़ी होने का श्राप दिया भगवान विष्णु ने राजा डिग्व को कुष्ठ निवारण का उपाय बतलाया ठीक होने पर राजा डिग्व ने उसी स्थान पर कल्याण जी का मंदिर बनवाया जहां उसके और इंद्र के मध्य युद्ध हुआ था विष्णु ने राजा डिग्व का रोग दूर कर उसका कल्याण किया था इसीलिए मंदिर का नाम कल्याण जी पड़ा
11. तीज का मेला कब भरता है ओर कहा लगता है
उत्तर-: श्रवण शुक्ला तृतीय को जयपुर में
12. श्री रामदेव पशुमेला कहा लगता है किस स्थान पर लगता है
उत्तर:- नागौर से 5km दूर मानासर में
13. आमदनी के हिसाब से प्रदेश का सबसे बड़ा मेला कोनसा है
उत्तर-: वीर तेजाजी पशु मेला
14. श्री चौथ माता का मेल कब व कहा लगता है
उत्तर:- माघ कृष्णा चतुर्थी को चौथ का बरवाड़ा(स.मा.)
15. शीतला माता का मेल कब लगता है किस स्थान पर लगता है
उत्तर-: चैत्र महा में(शील डुंगरी चाकसू,जयपुर)
16. फूलडोल मेला कब व कहा भरता है ?
उत्तर – फूलडोल मेला चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से शाहपुरा (भीलवाड़ा) में भरता है।
17. बादशाह मेला कब व कहा आयोजित किया जाता है ?
उत्तर- बादशाह मेला चैत्र कृष्ण प्रतिपदा पर ब्यावर में आयोजित किया जाता है।
18. कैला देवी का मेला कब व कहा भरता है ?
उत्तर- करौली में काली सिंध के किनारे त्रिकुट पहाड़ी पर यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण अष्टमी से चैत्र शुक्ल अष्टमी तक भरता है।
19. कार्तिक पूर्णिमा को कौन कौन से मेले का आयोजन किया जाता है ?
उत्तर- इस दिन पुष्कर मेला (अजमेर) तथा कोलायत मेला (कपिल मुनि आश्रम बीकानेर) और चंद्रभागा का मेला (झालरापाटन) आदि मेले का आयोजन किया जाता है।
20. खेजड़ली मेले के बारे में बताइये ?
उत्तर- यह मेला जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में अमृता देवी की स्मृति में मेला भरता है। इस स्थान पर 28 अगस्त 1730 ई. में 363 व्यक्तियों जिसमे महिलाये भी शामिल थी।इन्होंने वृक्षों की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति दी थी। यह मेला प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी को भरता है।
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No of Question-40
Share your Results:प्रश्न 1 पीपल पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है
प्रश्न 2 गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाया जाता है
प्रश्न 3 षट्तिला एकादशी को किस भगवान की पूजा की जाती है
प्रश्न 4 त्रिपुर पूर्णिमा कहते है -
प्रश्न 5 किस त्यौहार को काली गाय और काले तिलों का दान किया जाता है -
प्रश्न 6 धुलंडी का त्यौहार कब मनाया जाता है -
प्रश्न 7 रामनवमी का त्यौहार मनाया जाता है -
प्रश्न 8 राजस्थानी त्यौहारों में सबसे ज्यादा गीतों वाला त्यौहार है -
प्रश्न 9 ईस्टर के त्योहार के पीछे ईसाइयों की भावना है-
प्रश्न 10 बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है -
प्रश्न=11- रामदेव जी के मेले में आकर्षण का केंद्र है ?
प्रश्न=12- कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है
प्रश्न=13- रानी दादी सती का मेला कब लगता है ?
प्रश्न=14- चारभुजा जी का मेला कहां लगता है ?
प्रश्न=15- अबूझ सावे का दिन ?
प्रश्न=16- गोपाष्टमी त्यौहार कब मनाया जाता है ?
प्रश्न=17- बसंत पंचमी त्योहार आता है ?
प्रश्न=18- किस त्यौहार पर घर के प्रमुख द्वार के दोनों ओर श्रवण कुमार के चित्र बनाकर पूजन करते हैं ?
प्रश्न=19-नाग पंचमी कब आती हैं?
प्रश्न =20-भैया दूज कब मनाई जाती हैं?
प्रश्न=21- निम्न में से कौन सा कूट असंगत है?
प्रश्न=22- किस शासक के शासनकाल में कोटा में दशहरा मेला लगना प्रारंभ हुआ?
प्रश्न=23- शीतला अष्टमी कब मनाई जाती है?
प्रश्न=24- आंवला नवमी ?
प्रश्न=25- ऋषि पंचमी?
प्रश्न=26- रमजान की 27 तारीख को मनाया जाता है?
प्रश्न=27- पड़वा ढोक किस समाज का पर्व है?
प्रश्न=28- रोटा तीज मनाई जाती है?
प्रश्न=29- नवरोज?
प्रश्न =30- प्रबोधिनी एकादशी?
प्रश्न=31- मलिक शाह पीर का उर्स लगता है?
प्रश्न=32-सियावा का मेला /मनखा रो मेलो कोनसी जनजाति से सम्बधित है?
प्रश्न=33- आंवला नवमी मनाई जाती है?
प्रश्न=34- राधाष्टमी मनाई जाती है?
प्रश्न=35-बसन्त पंचमी मनाई जाती है?
प्रश्न=36-मल्लू का मेला लगता है?
प्रश्न=37- तीर्थ राज का मेला लगता है?
प्रश्न=38-मीरा महोत्सव मनाया जाता है?
प्रश्न=39- वीरातरा का मेला लगता है?
प्रश्न =40- धनोप माता का मेला लगता है?