द्वितीय विश्व युद्ध के कारण
- आर्थिक प्रतियोगिता का बढ़ना
- समृद्धशाली एवं साधनहीन देशों में विश्व का बंटना
- जनसंख्या का दबाव
- तानाशाही बनाम जनतंत्रीय विचारधारा
- उग्र राष्ट्रवाद की भावना
- दो प्रतिद्वंदी सैनिक गुटों का उदय
- वर्साय की अपमानजनक संधि
- फ्रांस का प्रतिशोध पूर्ण व्यवहार
- राष्ट्र संघ की विफलता
- अल्पसंख्यक जातियों में असंतोष
- 1919 से 1939 के मध्य यूरोप में निशस्त्रीकरण की असफलता
इटली 1947 ईस्वी में साम्यवाद विरोधी संघ में सम्मिलित हुआ और रोम बर्लिन टोक्यो धुरी का गठन हुआ प्रथम गुट ने जर्मनी इटली जापान ने मिलकर रोम बर्लिन टोक्यो धुरी का निर्माण किया
दूसरी तरफ इंग्लैंड फ्रांस सोवियत रूस और अमेरिका जैसे मित्र राष्ट्रों ने मिलकर एक सुदृढ़ संधि संगठन स्थापित कर लिया फाल्स ने द्वितीय विश्व युद्ध को प्रतिशोधात्मक युद्ध (वार ऑफ रिवेंज )की संज्ञा दी है
दोनों विश्व युद्धों के बीच के काल में ‘ जर्मनी की समस्या ‘ यूरोप की सबसे जटिल और शांति कारक समस्या बनी रही जापान पेरिस की शांति संधियों से असंतुष्ट था 1924 में ब्रिटेन में पहली बार लेबर पार्टी सत्ता में आई
1933 में अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए न्यूडील कार्यक्रम की घोषणा की आर्थिक मंदी का सोवियत संघ पर कोई असर नहीं हुआ 1929 में सोवियत संघ ने पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की
वाशिंगटन सम्मेलन ( 12 नवंबर 1921 से 6 फरवरी 1922 ईस्वी तक) अमेरिकन राष्ट्रपति हार्डिंग ने शस्त्रों को सीमित करने के लिए 4 बड़े देशों ब्रिटेन फ्रांस जापान इटली का वाशिंगटन में एक सम्मेलन बुलाया चीन होलैंड पुर्तगाल एवं बेल्जियम को भी आमंत्रित किया गया
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