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1. प्रागैतिहासिक काल ( Prehistoric times )-
तीन भाग-
पुरा पाषाण काल- भारत में सर्वप्रथम 1863 में रॉबर्ट ब्रुस फूट ने पल्लावरम (मद्रास) से पाषाण निर्मित साक्ष्य प्राप्त किया। 1935 में डी टेरा तथा पीटरसन ने शिवालिक पहाडियों से महत्वपूर्ण पाषाण उपकरण खोजे। पुरा पाषाण के तीन भाग-
1 निम्न पुरा पाषाण काल
- स्थल- सोहन नदी घाटी(पाकिस्तान का पंजाब प्रांत), सिंगरौली घाटी(उ. प्र.), छोटा नागपुर, नर्मदा घाटी तथा समस्त भारत सिंध व केरल को छोडकर पाषाण उपकरण प्राप्त।
उपकरण – शल्क, गंडासा, खंडक, हस्तकुठार और बटिकाश्म। - सोहन संस्कृति, चापर – चेपिंग पेबुल संस्कृति तथा हैंड एक्स संस्कृति इस काल को कहा जाता है।
- नर्मदा घाटी में हथनोर नामक ग्राम से मिली एक मानव खोपड़ी भारत में अब तक प्राप्त मनुष्य का सबसे पुराना अवशेष है।
2 मध्य पुरा पाषाण काल –
- स्थल-नेवासा (महाराष्ट्र),, डीडवाना(राजस्थान), भीमबेटका, नर्मदा घाटी(मध्यप्रदेश), पुरुलिया (पश्चिम बंगाल) तुंगभद्रा नदी घाटी तथा समस्त भारत सिंध(पाकिस्तान) , केरल को छोडकर पूरे भारत में।
- औजार- बेधक, खुरचनी और वेधनियां।
- भीमबेटका – यहां से 200 से अधिक चट्टानी गुफाओं से इस काल के लोगों के रहने के साक्ष्य मिले है।
- यह निथंडरथाल मानवों का युग था।
3 उच्च पुरा पाषाण काल –
- मुख्य स्थल- रेनीगुंटा तदा कुरनूल(आन्ध्रप्रदेश), शोलापुर, बीजापुर, बेलन घाटी।
- औजार- तक्षणी, फलक, खुरचनी, हार्पून
- शुद्ध फलक उद्योग बेलन घाटी से, रेनीगुंटा से फलकों व तक्षणियों का विशाल संग्रह एवं कुरनूल से हड्डी के उपकरण मिले है।
- भीमबेटका से गुफाओं में चित्रकारी में हरे तथा गहरे लाल रंग का उपयोग हुआ है।
2. मध्य पाषाण काल ( Middle Stone Age )
- मुख्य स्थल- बागोर, पंचपद्रा घाटी व सोजत(राजस्थान), लंघनाज(गुजरात), अक्खज, बलसाना, विन्ध्यव सतपुडा के क्षेत्र, व भीमबेटका (मध्यप्रदेश) ,आदमगढ(बिहार), वीरभानपुर(प.बंगाल), संगनकल्ल(कर्नाटक), सरायनाहर राय, लेखहीमा, मोरहाना पहाड़ (उ. प्र.)
- उपकरण – लघु पाषाण (माइक्रोलिथ) से बने औजार-ब्लेड, अर्धचन्द्रकार उपकरण, इकधार फलक वाले औजार, त्रिकोण, नवचन्द्राकार तथा समलंब औजार, नुकीला औजार।
- विशेषताएं – अन्त्येष्टि क्रिया से परिचित थे। मानव के साथ कुते की भी अस्थियां मिली। पंचमढी में महादेव पहाडियों में मध्य पाषाण युग के शैलाश्रय मिले है।
3. नव पाषाण काल ( New Stone Age ) –
- मुख्य स्थल- आदमगढ व चिरांद(बिहार), ब्लूचिस्तान, उत्तर प्रदेश का बेलन घाटी, बुर्जहोम व गुफ्फरकराल(जम्मू-कश्मीर), मेहर गढ, प्रायद्वीपीय भारत, कोटदीजी।
- मुख्य औजार- पालिस किये हुए पत्थर के औजार, पत्थर की कुल्हाडी, छोटे पत्थर के औजार व हड्डी के औजार
- विशेषताएं – कृषि कार्य आरंभ, पशुपालन, मृदभांड निर्माण, कपडा बुनाई, मनुष्य स्थायी निवासी, झोंपडी बनाकर रहना, नाव का निर्माण, बेलन घाटी से चावल के साक्ष्य, मेहरगढ से सर्वप्रथम कृषि का साक्ष्य, आदमगढ व बागोर से प्राचीनतम पशुपालन का साक्ष्य, बुर्जहोम से मृदभांड का साक्ष्य।
महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल ( Important archaeological sites )
प्रमुख पुरातात्विक स्थल – स्थल स्थान
- हड़प्पा – पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के मोंटगोमेरी (साहिवाल) जिले में स्थित
- मोहनजोदड़ो – पाकिस्तान में सिंध प्र्रंत के लारकाना जिले में स्थित
- लोथल – अहमदाबाद (गुजरात)
- कालीबंगा – हनुमानगढ़ (राजस्थान)
- धोलावीरा – कच्छ (गुजरात)
- भिरन्ना – फतेहाबाद (हरियाणा)
- बनवाली – फतेहाबाद (हरियाणा)
- अदिच्छानल्लुर – थुथुकुड़ी (तमिलनाडु)
- जोर्वे – अहमदनगर (महाराष्ट्र)
- दैमाबाद – अहमदनगर (महाराष्ट्र)
- शोरतुग़ई – उत्तरी अफगानिस्तान
- चन्हुदडो- सिंध पाकिस्तान
- अमरी दादू – (सिंध), पाकिस्तान
- मेहरगढ़ – बलूचिस्तान, पाकिस्तान
- गनेरीवाला – पंजाब, पाकिस्तान
- राखीगढ़ी – हिसार (हरियाणा)
- अत्तिरामपक्कम- तिरुवल्लुर (तमिलनाडु)
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