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Vedic civilization ( वैदिक सभ्यता )
वैदिक संस्कृति सिंधु सभ्यता के बाद अस्तित्व में आई इसकी जानकारी वेदों में मिलने के कारण इसे वैदिक संस्कृति कहा जाता है वैदिक काल(Vedic civilization ) का विभाजन दो भागों में किया गया है-
- ऋग्वैदिक काल – 1500 पूर्व से 1000 ईस्वी पूर्व
- उत्तर वैदिक काल- 1000 ईस्वी पूर्व से 600 इसवी पूर्व
ऋग्वेद का यह कॉल विंटरनित्ज ने निर्धारित किया वैदिक सभ्यता मूलतः ग्रामीण सभ्यता थी भारत में आर्य सर्वप्रथम सप्तसिंधु क्षेत्र में बसे यह क्षेत्र आधुनिक पंजाब तथा उसके आसपास का क्षेत्र था मैक्स मूलर ने आर्यों का मूल स्थान मध्य एशिया को माना है
ऋग्वैदिक काल (Rig Vedaic period)
इस कॉल का प्रमुख ग्रंथ ऋग्वेद ही है ऋग्वेद की अनेक बातें ईरानी भाषा के प्राचीनतम ग्रंथ अवेस्ता ( जेदावेस्ता ) से मिलती है ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है ऋग्वैदिक काल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी सिंधु है इस साल की दूसरी सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी सरस्वती थी ऋग्वेद में सरस्वती को नदी तमा नदियों में प्रमुख देवी तमे अम्बितमे कहां गया है सरस्वती का सबसे अधिक बार उल्लेख है सरस्वती के बाद सिंधु का उल्लेख है
अन्य विचारको ओर लेखको के अनुसार आर्यों के मूल स्थान पर विभिन्न विभिन्न धारणाये है-
- प्रोफेसर मैक्स मूलर ने आर्यों का मूल स्थान मध्य एशिया को माना है
- बाल गंगाधर तिलक ने इनका का मूल स्थान उत्तर ध्रुव माना है
- प्रो. मैकडोनाल्ड ने आर्यों का मूल स्थान ऑस्ट्रो हंगरी मना है
- डॉ अविनाश चंद्र दास द्वारा इनका मूल स्थान सप्तसिंधु प्रदेश को माना गया है
- प्रोफेसर पेन्का के अनुसार इनका मूल स्थान जर्मनी के मैदानी भाग हैं
- दयानंद सरस्वती के अनुसार आर्यों का मूल स्थान तिब्बत है
- प्रोफेसर गार्डन चाइल्ड के अनुसार आर्यों का मूल स्थान दक्षिणी रूस था
ऋगवैदिक काल में आर्य कई छोटे-छोटे कबीलों में विभक्त थे और ऋगवैदिक साहित्य के अनुसार कबीले को जन कहा जाता था और कबीले के सरदार को राजन कहा जाता था जो उसका होता शासक था
सबसे छोटी इकाई परिवार या कुल थी कई कुल मिलाकर ग्राम बनते थे जिसका प्रधान ग्रामणी होता है तथा कई ग्राम मिलाकर विश बनता था जिसका प्रधान विशपति होता था और कई विश मिलाकर जन का निर्माण करते था और जिस का प्रधान राजा होता था
ऋग्वेद में जन 275 बार तथा विश का 170 बार उल्लेख मिलता है जनपद शब्द का उल्लेख एक बार भी नहीं है राजा और प्रत्यय शब्द का उल्लेख एक बार हुआ है जबकि इंद्र शब्द का 250 बार प्रयोग हुआ है ऋग्वेद में देश या राज्य के लिए पहली बार राष्ट्र शब्द काम आया है किंतु यह प्रभुसत्ता संपन्न राज्य का सूचक नहीं है
सभा एवं समिति राजनीतिक संस्थाएं थी सभा यह वृद्व अभिजात लोगों की संस्था थी समिति यह सामान्य जनता की प्रतिनिधि सभा थी यह राजा पर नियंत्रण रखती थी समिति के सभापति को ईशान कहा जाता है
पूरप दुर्गपति होता था सप्श यह जनता की गतिविधियों को देखने वाले गुप्तचर होते थे ब्राजपति यह गोचर भूमि का अधिकारी होता था
परिवार पितृ सत्तात्मक था समाज में वर्ण-व्यवस्था कर्म पर आधारित थी और ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र का उल्लेख है
सोम आर्यो का मुख्य पेय पदार्थों तथा यव (जौ) मुख्य खाद्य पदार्थ था समाज में स्त्रियों की स्थिति बहुत अच्छी थी इस समय समाज में विधवा विवाह, नियोग प्रथा तथा पुनर्विवाह का प्रचलन था लेकिन पर्दा प्रथा बाल विवाह और सती-प्रथा प्रचलित नहीं थी
वैदिक सभ्यता प्रमुख यज्ञ ( Chief sacrifice of Vedic civilization )
- अग्निहोष्टम यज्ञ:-पापों के क्षय और स्वर्ग की ओर ले जाने वाले नाव के रूप में वर्णित।
- सौत्रामणी यज्ञ:-यज्ञ में पशु एवं सूरा की आहुति।
- पुरुषमेधयज्ञ:-पुरूषों की बलि, सर्वाधिक 25 यूपों ( यज्ञ स्तम्भ) का निर्माण ।
- अश्वमेघ यज्ञ:- सर्वाधिक महत्वपूर्ण यज्ञ, राजा द्वारा साम्राज्य की सीमा में वृद्धि के लिए,सांडों तथा घोड़ों की बलि।
- राजसूय यज्ञ:- राजा के राज्य अभिषेक से संबधित।
- वाजपेय यज्ञ:- राजा द्वारा अपनी शक्ति के प्रदर्शन के लिए, रथ दौड़ का आयोजन।
ऋग्वेद में उल्लिखित विभिन्न शब्द
पिता ?335 , जन ?275 , इन्द्र ?250 , माता ?234 , अश्व ?215 , अग्नि ?200 , गाय ?176 , विश ?170 , सोम?144 , विद्थ ?122 , बिष्णु?100 .गण ?46 , ब्रज (गौशाला )?45 , कृषि ?33 , वरूण ?30 , वर्ण ?23 , सेना ? 20 , ब्राह्मण ?15 , ग्राम ?13, बृहस्पति?11 , राष्ट्र ?10 , क्षत्रिय ?9 , समिति ?9 , सभा ?8 , यमुना ?3 , रूद्र ?3 , वैश्य ?1 , शूद्र ?1 , गंगा ?1 , राजा ?1 ,पृथ्वी ?1
ऐतरेय ब्राह्मण में दी गई शासन प्रणाली
पूर्व – साम्राज्य – सम्राट
पश्चिम – स्वराज्य – स्वराट
उत्तर – वैराज्य – विराट
दक्षिण – भोज्य – भोज
मध्यदेश – राज्य – राजा
शतपथ ब्राह्मण
- राजा के राष्ट्र शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम शतपथ ब्राह्मण में किया गया है
- पुनर्जन्म का सिद्धांत, पुरुरवा उर्वशी संवाद ,जलप्लावन की कथा ,राम कथा ,अश्विनी द्वारा च्वयन ऋषि को योवनदान
- सदानीरा नदी का उल्लेख
- आर्यों को नर्मदा नदी की जानकारी थी, 12 रतनिया का उल्लेख ,कृषि संबंधी समस्त क्रियाओं का वर्णन शतपथ ब्राह्मण में
- ब्याज पर उधार देने वालों को कुसीडीन, का का उल्लेख
- एक स्थान पर इंद्र के लिए सुनासीए(हलवाहा) नाम का उल्लेख शतपथ ब्राह्मण में
- पत्नी को अर्धांगिनी बताया गया है शतपथ ब्राह्मण में, राजसूय यज्ञ का वर्णन भी शतपथ ब्राह्मण में
- कुरु व पांचाल को वैदिक सभ्यता के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि शहर बताए गए हैं शतपथ ब्राह्मण
- चारों वर्णों की अंत्येष्टि के लिए चार अलग-अलग स्थानों का विभाजन शतपथ ब्राह्मण में
- क्षत्रियों को ब्राह्मणों से श्रेष्ट बताया गया है शतपथ ब्राह्मण में
Vedic civilization important facts ( वैदिक सभ्यता )
- उपनिषद ब्रह्म सूत्र तथा गीता को सम्मिलित रूप से प्रस्थानत्रई भी कहा जाता है
- भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते मुंडक उपनिषद् से लिया गया है
- उपनिषदों की रचना मध्य काल तक चलती रही माना जाता है की अल्लोपनिषद की रचना अकबर के काल में हुई
- शुल्व सूत्र से ही सर्वप्रथम भारतीय रेखा गणित की शुरुआत होती है
- सूत्र साहित्य में 8 प्रकार के विवाह का उल्लेख मिलता है
- नारद स्मृति का टीकाकार असहाय है
- Manu स्मृति की रचना शुंग काल में हुई
- विष्णु स्मृति के अतिरिक्त शेष स्मृतियां श्लोकों में लिखी गई और इनकी भाषा laukik संस्कृत है
- शतपथ ब्राह्मण में किस विषय की विस्तृत जानकारी दी गई है – हल की जुताई से सम्बन्धित अनुष्ठानों के बारे।
- शतपथ ब्राह्मण में कितने प्रकार के रत्निरत्नियों का उल्लेख है ?? 12 प्रकार के ।
- शतपथ ब्राह्मण के अनुसार ??“राजा वही होता है, जिसे प्रजा का अनुमोदन प्राप्त हो ।”
- शतपथ ब्राह्मण में कहाँ के राजा का उल्लेख मिलता है ??कैकेय के राजा अश्वपति ।
- शतपथ ब्राह्मण से किन विदुषी स्त्रियों का जिक्र मिलता है ??गार्गी, गन्धर्व, गृहीता, मैत्रेयी ।
- शतपथ ब्राह्मण में काम्पिल्य नगरी का उल्लेख मिलता है, जो राजधानी थी ??पाञ्चाल जनपद ।
- शतपथ ब्राह्मण से किसकी कथा का वर्णन मिलता है ?? विदेथ माधव की कथा ।
- शतपथ ब्राह्मण में पहली बार जिक्र मिलता है ??महाजनी प्रथा का ।
- शतपथ ब्राह्मण में कृषि की कितनी क्रियाओं का वर्णन मिलता है ??4 (जुताई, बुआई, कटाई, मड़ाई )प्रकार की ।
- शतपथ ब्राह्मण में ??(जलप्लावन की कथा )मिलती है ।
- अथर्ववेद को छोड़कर बाकी तीनों वेदों को क्या कहा जाता है – वेदत्रयी
- ऋग्वेद की शुरूआत किसकी उपासना से होती है- अग्नि देवता
- वर्तमान समय मे ऋग्वेद के किस शाखा का अध्ययन किया जाता है- साकल शाखा
- वेदों का संकलन किसके द्वारा किया गया जिस कारण उन्हें वेदव्यास के नाम से जाना जाता है- कृष्णद्वैेपायन
- चारों आश्रमों का प्रथम बार एक साथ उल्लेख किस उपनिषद में मिलता है- जबालोप उपनिषद
- ऋग्वेद की रचना में कुल कितनी महिलाओं ने भाग लिया – 21 महिलाओं ने
- एकेश्वरवाद की अवधारणा ऋग्वेद के कौन से मंडल में मिलती है- प्रथम् मण्डल में
- निष्काम कर्म की सर्वप्रथम अवधारणा कहाँ से मिलती है- शुक्ल यजुर्वेद के अंतिम भाग ईशोपनिषद से
- पतंजलि ने अथर्वेद की कितनी शाखाओ का उल्लेख किया है – नौ शाखाओ का जिसमे केवल दो उपलब्ध है ।
1- पिप्पलाद
2- शौनक - पंचाक्षरी शिव मन्त्र का सर्वप्रथम उल्लेख किस उपनिषद में मिलता है- श्वेतश्वतर उपनिषद में
- भारतीय नाटक के आरंभिक सूत्र संवाद सूक्त में मिलते हैं
- अरब लेखकों के अनुसार राष्ट्रकूट राजवंश की स्त्रियां अपना चेहरा पर्दे से नहीं ढकती थी
- ललित विस्तार में प्राचीन भारत में प्रचलित 64 लिपियों का वर्णन है।
- यवन जातक ज्योतिष संबंधित ग्रंथ है।
- भारोपीय भाषा परिवार की प्राचीनतम भाषा ईरानी है।
- चीनी यात्री भारत को यिन-तु कहते थे।
- ऋग्वेद में अग्नि को देवताओं का मुख कहा गया है।
- ऐतरेय ब्राह्मण में पुत्र को संसार सागर पार कराने वाली नौका कहा गया है
- युद्ध का प्रारंभ मनुष्यों के मस्तिष्क से होता है यह अथर्ववेद में उल्लिखित है ।
- अथर्ववेद का पृथ्वी सूक्त वैदिक राष्ट्रीय गीत है
- शल्यक्रिया का उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है ।
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No of Question – 45
Share your Results:1. किस ग्रंथ स्त्रियों को शुद्र माना गया है
2. किस आश्रम में रहते हुए त्रिवर्ग (धर्म, अर्थ, काम) कार्य को संपन्न किया जाता था
3. सौत्रामणि यज्ञ में किस देवता की पूजा की जाती थी
4. गौत्र का सर्वप्रथम उल्लेख किस वेद में मिलता है
5. किस ब्राह्मण ग्रंथ में पुत्री को कृपण( समस्त दु:खों की जड़) कहा गया
6. 8 विवाहों का वर्णन किस सूत्र में दिया गया है
7. 'नानात्मा बलहीन लभ्य' वाक्य किस उपनिषद् से लिया गया है
Q.8 किसे- वैदिक साहित्य के प्रजापति का रूप में कहां गया है ।
Q 9 किस ग्रंथ में जलप्लावन की कथा का वर्णन है।
Q10 वैदिककालीन पर्वत मौज बंद निवास स्थान माना जाता है ।
Q 11 ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार कहां के शासक सम्राट की उपाधि धारण करते थे ।
Q 12 अंग का सर्वप्रथम उल्लेख इसमें मिलता है ।
Q 13 सुरा की आहुति का संबंध है।
14. मनु के दस पत्नियों का उल्लेख मिलता है
15 चारों आश्रमों का सर्वप्रथम उल्लेख मिलता है
16 गैरिक मद्भाण्ड_ सँस्कृति का समध है
17 काठक संहिता में कितने बैलों द्वारा हल चलाने का उल्लेख है
18 प्रवाहण जाबाली का सम्बंध है
19 परीक्षित को मृत्यु लोक का देवता बताया है
20 कहां के लोगों को व्रात्य कहा गया हैं
21 आर्यों से सर्वथम पूजा की थी
22 सुदास का युद्ध में पक्षधर था
23. ncert के अनुसार आर्य निवासी थे
24. अंध युग कहा जाता है ?
25 वैदिक सभ्यता में
26 वैदिक युग मे "मना "का अर्थ है?
27 वैदिक भारत में--
28 निम्न में से कौन वैदिक राजतन्त्र के अध्ययन में सहायक है
29. कल्प सूत्र के कितने भाग है
30. ईरानी भाषा के प्राचीनतम जेंद अवेस्ता की समानता कौनसे वेद से की गई
31. ऋग्वेदिक कालीन प्रमुख देवी है
32 उग्र व जीव-गृभ किस से संबंधित कर्मचारी थे
33. कुल आरण्यक उपलब्ध है
34. आर्यो का मूल निवास स्थान यूरोप था
35 वेदांत किसे कहते हैं
36 वैदिक युग में खादि क्या था
37 सभा समिति प्रजापति की दुहिताए हैं वे मेरी रक्षा. करे वे मुझे उतम शिक्षा दे... उल्लेख किसमें हैं
38 ऋग्वेद में कौन से देवता सहस्त्र स्तंभ स्तंभ वाले भवन में निवास करते थे ?
39. ब्राह्मण राजा पर आश्रित है परंतु राजा श्रेष्ठ है यह उलेखित है
40 निम्नलिखित बातों पर विचार कीजिए 1 शतपथ ब्राह्मण 2 बृहदारण्यक 3 आचारांग सूत्र 4 विनयपिटक उपरोक्त में से कौन से वैदिक साहित्य से संबंधित नहीं है ?
41 निम्नलिखित में से किसको वैदिक साहित्य में प्रजापति के रूप में वर्णित किया गया है?
42 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए कथन कथन (A )-- मिताक्षरा के अनुसार पिता अपने जीवन काल में अपने पुत्रों के मध्य अपनी संपत्ति का बंटवारा कर सकता था कथन (R)-- मिताक्षरा ने पैतृक संपत्ति में पुत्र का जन्मना स्वत्व स्वीकार नहीं किया नीचे दिए गए कूट से आप सही उत्तर का चयन कीजिए
43. निम्नलिखित निम्न कथनों पर विचार कीजिए 1 उन्हें संपत्ति का अधिकार प्राप्त था 2 यज्ञ का अनुष्ठान करती थी 3 वे युद्ध में सक्रिय भाग नहीं लेती थी 4 उनका विवाह यौवनारंभ से पूर्व हो जाता था निम्नलिखित कथनों में से कौन सा कथन सही है?
44 अपौरूषेय किसे कहा गया है-
45 उपनिषद का दूसरा नाम है
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