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( पाश्यात्य राजनीतिक विचारक-जेरेमी बेन्थम )
18 वीं सदी के अंग्रेजी विचारक जर्मी बेंथम (1748 – 1832 ईसवी) ने शास्त्रीय उदारवाद को नई परिभाषा दी तथा प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत को “एक प्रलाप, मूर्खता का नंगा नाच करार” देकर उपयोगितावाद का प्रवर्तन किया।
✍? उनका सबसे प्रसिद्ध वाक्य “अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख”।
बेंथम के उपयोगितावाद पर प्राचीन यूनानी दार्शनिक एरिस्टियस तथा एपीक्यूरस आधुनिक फ्रांसीसी दार्शनिक हैल्वेटियस के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।
व्यक्ति को सदैव ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे वह अपने सुखों में वृद्धि कर सके तथा दुखों से बचाव किया जा सके – बेंथम।
प्रकृति ने मनुष्य को दो शक्तियों के अधीन रखा है वे हैं सुख तथा दुख। मनुष्य की सदैव इच्छा रहती है कि वह सुखी बने तथा दुखों को दूर कर सके। जो कार्य सुखों की वृद्धि करते हैं तथा दुखों में कमी करता है वही उपयोगितावाद है।
“यदि पुष्पिन (ताश) खेलने तथा काव्य के रसास्वादन में एक समान सुख प्राप्त होता है तो इन दोनों में कोई अंतर नहीं है”- बेंथम।
✍? बेंथम ने सुखों को मापतौल की वस्तु बताकर उसके साथ मानदंड निर्धारित किए हैं-
- तीव्रता
- स्थिरता
- निश्चितता
- निकटता या सुदूरता
- उर्वरा शक्ति
- विशुद्धता
- विस्तार
उसने सुखों को मापने के लिए सुख मापक यंत्र का आविष्कार किया जिससे सुखों का परिणाम ज्ञात किया जा सके। उसने सुखों की गणना में सावधानी बरती है। “प्रत्येक को एक गिना जाए तथा किसी को एक से अधिक ना गिना आ जाए।”
राजनीतिक वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण कथन?
जेरेमी बेन्थम महत्वपूर्ण कथन
- ✍ “सुख का बंटवारा करते समय हर एक की गणना एक और केवल एक इकाई के रूप में ही की जानी चाहिए, किसी को एक इकाई से अधिक नहीं माना जाना चाहिए !!”
- ✍”पूरे समुदाय का हित उस समुदाय के सब सदस्यों के हितों का पूर्ण योग ही है,न उससे कम होने उससे अधिक” !!
- ✍”हर व्यक्ति का मूल्य एक इकाई है, एक इकाई से अधिक किसी का नहीं !!”
- ✍”वे बुराइयों से भरी इस दुनिया को गणराज्यों का जाल बिछा कर ठीक कर लेंगे !!”
✍? लोकतंत्र संबंधी विचार –
बेंथम ने अपनी “सुखवादी” धारणा के आधार पर “एक व्यक्ति एक वोट का” सिद्धांत देकर लोकतंत्र को परिभाषित किया है। उसने समानता को राजनीतिक शुभ बताकर समानता आधारित है लोकतंत्र का मान रखा। बेंथम में “वार्षिक संसद” तथा “मतपत्र द्वारा मतदान” की मांग की।
साक्षर सभी व्यस्कों को मताधिकार देने की बात कही। बेंथम के शब्दों में “न तो पूर्ण, न ही सीमित राजतंत्र बल्कि लोकतंत्रात्मक शासन ही शासन शासकों के मध्य हितों का समन्वय कर सकता है क्योंकि तब अधिकतम लोगों का अधिकतम हित ही चरम लक्ष्य होता है।”
✍? अपनी पुस्तक “प्रिंसिपल्स ऑफ मोरल एंड लेजिस्लेशन” में बेंथम ने विधि निर्माण संबंधी विचार व्यक्त किए। विधि निर्माण के लक्ष्य – सुरक्षा, आजीविका, प्रचुरता तथा समानता बताए हैं।
“बेंथम से लेकर आज तक ऐसा कोई भी कानून में सुधार मेरी दृष्टि में नहीं आता जिस पर उनका प्रभाव में हो।” – सर हेनरी मेन
✍? बेंथम के शिक्षा संबंधी विचार –
बेंथम ने शिक्षा प्रणाली के रूप स्थिर किए –
- गरीब छात्रों के लिए,
- धनी छात्रों के लिए।
बेंथम का मत है कि – “पहले उस बात की शिक्षा देनी चाहिए जो उपयोगी हो, भावी जीवन में लाभदायक हो।” उसने सार्वजनीन शिक्षा का समर्थन किया।
✍? दंड पर बेंथम के विचार –
बेंथम के अनुसार दंड का उद्देश्य सार्वजनिक कल्याण होना चाहिए। बेंथम का मत है कि दंड के प्रकृति निरोधात्मक तथा सुधारात्मक होनी चाहिए प्रतिशोधात्मक नहीं। अपराध के स्तर को देख कर ही दंड दिया जाए उसे कम या ज्यादा नहीं।
दंड के पीछे कोई दुर्भावना निहित ने हो। यदि दंड देने का तार्किक आधार न हो या दंड देने से सामाजिक कल्याण का मार्गदर्शन न हो तो दंड को नहीं प्रयोग किया जाना चाहिए। बेंथम दंड को क्षति पूर्ति तथा क्षमा से अनुप्राणित करता है।
- ✍? “बेंथम ने आधारभूत सिद्धांतों को निगल तो लिया लेकिन उन्हें पहचान नहीं सके।” – वेपर
- ✍? “बेंथम ने अंतरात्मा की अवहेलना करके नैतिक तथा अनैतिक कार्यो में कोई अंतर नहीं किया है।” – रॉबर्ट एच मरे
- ✍? “एक संतुष्ट मूर्ख होने की अपेक्षा असंतुष्ट सुकरात होना कहीं अच्छा है।” – जे एस मिल
✍? एबनस्टीम के अनुसार –
19वीं सदी में ब्रिटिश संस्थाओं में परिवर्तन का सर्वप्रथम श्रेय बेंथम को जाता है। उसने उपयोगितावाद के द्वारा राज्य को “सार्वजनिक सुख के स्थान पर सार्वजनिक तथा सामाजिक कल्याण” के निमित्त कार्य करने को कहा। उसने सार्वजनिक व्यस्क मताधिकार के स्थान पर पुरुष मताधिकार का समर्थन किया।
महिला मताधिकार को समय उचित नहीं माना गया क्योंकि बेंथम के अनुसार ब्रिटिश व्यवस्था अभी “अपरिपक्व” अवस्था में है। बेंथम ने “गुप्त मतदान” का समर्थन करके चुनाव की पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता बढ़ाई। उसने “लार्ड सभा को धनिक वर्ग” की संस्था कहकर आलोचना की। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने “स्वतंत्र प्रेस” को बढ़ावा दिया जो कि अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है।
नोट – उपयोगितावादी विचारको जर्मी बेंथम व जे एस मिल दोनों को मिलाकर तुलनात्मक दृष्टि से अध्ययन किया जाए तो जल्दी याद होगा और इस तरह सामाजिक समझौता या संविदा वादी विचारको हॉब्स, लॉक, रूसो तीनों को मिलाकर फिर तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो यह टॉपिक जल्दी याद होगा। इसी तरह प्लेटो और अरस्तू दोनों को एक साथ तैयार किया जाए तो वह भी टॉपिक बेहतर याद रहेगा।…?
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No of Questions- 41
प्रश्न=01. किस आधुनिक विद्वान ने बेंथम से पहले यह विचार प्रकट किया कि शासन की नीतियों का आधार 'अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख' की धारणा को बनाया जाना चाहिए-
प्रश्न=02. यदि कोई व्यक्ति सुख के पीछे भागता है तो वह उसे पाने में असफल होता है। यह कहलाता है-
प्रश्न=03. कौन-सा सुख अधिक समय तक बना रहता है तथा अधिक वांछनीय है ?
प्रश्न=04. परार्थवादी सुखवाद का दूसरा नाम है-
प्रश्न=05. अपनी किस पुस्तक में बेंथम ने यह सिद्धांत दिया है कि मानव जीवन के दो स्वामी होते हैं- सुख तथा दु:ख।
प्रश्न=06. किस विचारक सर्वप्रथम 'अधिकतम संख्या के अधिकतम सुख' के वाक्य का प्रयोग किया था ?
प्रश्न=07. किस विचारक ने बेन्थम के दर्शन को 'व्यक्तिवादी और लेसज-फेरे का सिद्धांत' कहा है ?
प्रश्न=08. बेन्थम ने अपराधियों के दैनिक जीवन को व्यवस्थित करने के लिए एक योजना बनाई जिसको क्या नाम दिया गया ?
प्रश्न=09. "प्राकृतिक अधिकार बकवास मात्र है।" यह कथन है-
प्रश्न=10.किसने बेंथम को "दार्शनिक आमूलवादी " कहा है ?
प्रश्न=11.बेंथम ने सुख और दुःख नाम शब्द किस्से लीये ?
प्रश्न=12.बेंथम के अनुसार राज्य की प्रकृति है ?
प्रश्न=13.बेंथम ने Theory of legislation कब लिखी ?
प्रश्न=14.किसने कहा ,"समाज व्यक्तियों में योग मात्र है। " ?
प्रश्न=15. बेंथम ने अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख मान्यता किस से ग्रहण की ?
प्रश्न=16. बेंथम ने निम्न में से किस का खंडन किया
प्रश्न=17. बेंथम के अनुसार सुख होते है-
प्रश्न=18. बेंथम के अनुसार लोग कानूनों का पालन क्यों करते है ?
प्रश्न=19. बेन्थम के अनुसार राज्य की उत्पत्ति का कारण है-
प्रश्न=20. अन्तरराष्ट्रीय विधि के संहिताकरण का समर्थन किसने किया है ?
प्रश्न=21. उपयोगितावाद का संस्थापक है-
प्रश्न=22. निम्न मे से किसने बेन्थम के दर्शन की आलोचना 'पिग फिलाॅसफी' कहकर की है ?
प्रश्न=23. बेन्थम के अनुसार निम्न मे से सुख की कसौटी नही है -
प्रश्न=24. बेंथम ने अपनी सुखवादी धारणा के आधार पर कौन सा सिद्धांत देकर लोकतंत्र को परिभाषित किया ?
प्रश्न=25. बेंथम ने सुखो काे माप तोल की वस्तु बता कर उसके 7 मापदंड निर्धारित किए, निम्न में से कौन सा नहीं है-
प्रश्न=26. बेन्थम ने अपनी पुस्तक "प्रिंसिपल ऑफ मॉरल्स एंड लेजिस्लेशन" मैं इन्होंने विधि निर्माण के लक्ष्य बताएं, जिसमें शामिल नहीं है-
27.-निम्न में से असंगत को छांटिए
28-उपयोगितावाद का आधार है
29.'-वह समझौतावादी विचारक जो उपयोगिता को ही राज्य का आधार मानता है
30.-"उसमें मनोवैज्ञानिक निरीक्षण की न तो कोई विशेष योग्यता ही थी और नहीं विशेष रुचि थी लेकिन वह 'आचार विज्ञानों का न्यूटन 'बनना चाहता था ""बेंथम के बारे में यह विचार व्यक्त किए
31. -उपयोगितावादी बेंथम की सर्वाधिक महत्वपूर्ण देन है
Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )