नियंत्रण का क्षेत्र - संगठन के सिद्धांत लोक प्रशासन

नियंत्रण का क्षेत्र – संगठन के सिद्धांत लोक प्रशासन | Control Area in Organization

नियंत्रण के क्षेत्र का अर्थ

इससे तात्पर्य यह है कि एक उच्च अधिकारी के अधीन कितने कर्मचारी होने चाहिए जिन पर वह आसानी से नियंत्रण रख सकता है। इसका संबंध इस बात से भी है कि अधिकारी के ध्यान का क्षेत्र (span of attention) का विस्तार कितना है। इसे मनोविज्ञान की भाषा में ध्यान का क्षेत्र तथा प्रशासन की भाषा में नियंत्रण का क्षेत्र कहा जाता है।

SPAN का शाब्दिक अर्थ है वह दूरी जो किसी व्यक्ति के अंगूठे व कनिष्ठ अंगुली को फैलाए जाने पर बनती है। जबकि नियंत्रण शब्द का अर्थ आदेश, निर्देश या नियंत्रण करने वाले अधिकार या सत्ता से हैं। वी ए ग्रेकूनाज ने इसको ध्यान का क्षेत्र भी कहा है।

नियंत्रण के क्षेत्र की परिभाषाएं

डिमॉक एवं डिमांक ने इसको परिभाषित करते हुए कहा है कि इसका किसी उद्यम के मुख्य कार्यपालक और उसके प्रमुख सहयोगी अधिकारियों के बीच सीधे एवं सामान्य संचार की संख्या एवं क्षेत्र से हैं।

सैकलर हडसन यह मानते हैं कि नियंत्रण का क्षेत्र अत्यंत सीमित कर देने पर भी कई खतरे उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे जितने भी प्रतिवेदन आएंगे उनका विस्तार से निरीक्षण होगा। अधीनस्थों को उनकी क्षमता का पूरा-पूरा उपयोग करने हेतु प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकेगा। इसके अलावा यह भी संभव है कि छोटे नियंत्रण के क्षेत्र का अर्थ आज्ञा देने वालों की संख्या को बढ़ाना है।

प्रोफेसर जियाउद्दीन खान के अनुसार नियंत्रण की सीमा उन मातहतों की संख्या या कार्य की इकाइयों की संख्या है, जिनका संचालन प्रधान कार्यकारी स्वयं कर सकता है।

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नियंत्रण के विस्तार के निर्धारक तत्व

लूथर गुलिक ने तीन निर्धारक तत्व बताए हैं- कार्य, समय एवं स्थान। लेकिन नियंत्रक का व्यक्तित्व और पारिवारिक स्थितियां भी इसमें प्रभाव डालती है। कुल मिलाकर यह तत्व पांच प्रकार के हो सकते हैं।

1. नियंत्रक का व्यक्तित्व- नियंत्रण करने वाले की योग्यता और क्षमता का प्रभाव नियंत्रण के क्षेत्र पर पड़ता है। अतिउत्साही और कुशल नियंत्रक अपने योग्य सहायकों की सहायता से एक आलसी और निकम्मे अधिकारी की अपेक्षा अधिक कर्मचारियों पर नियंत्रण रख सकता है।

2. कार्य –  के स्वरूप और प्रकृति का भी इस पर असर पड़ता है।

3. समय- यहां समय का तात्पर्य है कि संगठन कितना पुराना और कितना स्थायी है। अगर संगठन अधिक समय से चल रहा है तथा व्यवस्थित ढंग से हैं तो इसमें विस्तार किया जा सकता है अर्थात एक नवीन और अव्यवस्थित संगठन की अपेक्षा एक पुराने और जमे हुए संगठन में ज्यादा कर्मचारियों के ऊपर नियंत्रण और पर्यवेक्षण संभव है।

4. स्थान- का यह तात्पर्य है कि नियंत्रण के अधीनस्थ कार्यालय किन-किन जगहों पर अवस्थित है। अधीनस्थ कार्यालय एक ही भवन में या आस-पास है तो इस में उच्च अधिकारी अधिक कार्यालयों पर नियंत्रण रख सकता है, परंतु अधीनस्थ कार्यालय दूरदराज तक फैले हुए हैं और परस्पर विरोधी क्षेत्रों में अवस्थित है तो उसके नियंत्रण का क्षेत्र काफी कम होगा।

5. नियंत्रक की पारिवारिक स्थितियां- पारिवारिक समस्याएं जैसे कलह, अंतर्द्वंद्व, पत्नी से झगड़ा, परिवार के सदस्यों का बीमार रहना, तलाक बच्चों की चिंता तथा परिवार में आर्थिक संकट इत्यादि कुछ ऐसे पहलू है जो नियंत्रण के क्षेत्र को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।

Specially thanks to – P K Nagauri

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