भारत न तो यू.एस.ए. और स्विट्जरलैण्ड की तरह एक ‘परिसंघ’ है और न ही दक्षिण अफ्रीका तथा अस्ट्रेलिया की तरह का एक संघ है बल्कि यह ‘राज्यों का संघ’ है। अतः कोई भी राज्य भारत से अलग होने के लिए स्वतंत्र नहीं है। भारत विनाशी राज्यों का अविनाशी संघ है। संविधान के भाग-1 में अनुच्छेद 1 से 4 में ‘संघ और राज्य क्षेत्र’ के बारे में वर्णन किया गया है।
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र राज्यों का एक संघ, भारत एक प्रभुसत्ता सम्पन्न, धर्मनिरेपक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसमें संसदीय प्रणाली की सरकार है। राष्ट्रपति इस संघ की कार्यकारिणी का संवैधानिक प्रमुख है। राज्यों में सरकार की प्रणाली केन्द्र की प्रणाली से बिल्कुल मेल खाती है। देश में 28 राज्य और 8 संघ राज्य क्षेत्र हैं। संघ राज्य क्षेत्रों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए प्रशासक के माध्यम से प्रशासित किया जाता है।
भारत के बड़े से लेकर छोटे राज्य और संघ राज्य क्षेत्र की जनसांख्यिकीय, इतिहास और संस्कृति, वेश-भूषा, त्यौहार, भाषा आदि विचित्र है। यह खण्ड आपको देश के विभिन्न राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों से परिचित कराता है और आपको उनकी शानदार विचित्रताओं को जानने के लिए प्रेरित करता है।
अनुच्छेद 1 ‘संघ का नाम और उसका राज्य-क्षेत्र
इस अनुच्छेद के तीन उपखण्ड है –
- अनुच्छेद 1(1) के अनुसार – भारत अर्थात् इण्डिया, राज्यों का संघ होगा। इसमें भारत को “राज्यों का संघ” कहा गया है। भारतीय संविधान के अंतर्गत अमेरिका की भांति फेडेरेशन शब्द का उपयोग ना करके Union शब्द का उपयोग कनाडा के संविधान से लिया गया जिसके दो अर्थ निकलते हैं। 1. भारतीय संघ राज्यों के बीच किसी समझौते का परिणाम नहीं है। 2. राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है। (इन दो विशेषताओं के कारण ही भारतीय संघ को “नाशवान राज्यों का अविनाशी संघ” कहा जाता है।)
- अनुच्छेद 1(2) के अनुसार – राज्य और उनके राज्यक्षेत्र वे होंगें जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।
- अनुच्छेद 1(3) के अनुसार – भारत के राज्य क्षेत्र में समाविष्ट होंगे –
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अनुच्छेद-2 नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
इस संबंध में संसद को शक्ति प्रदान की गई। पुदुच्चेरी गोवा दमन दीव, दादरा नगर हवेली और सिक्किम इन्हीं व्यवस्था में शामिल है।
- 35वां संविधान संशोधन 1974 के द्वारा सिक्किम को सहराज्य का दर्जा दिया गया जिसके लिए अनुच्छेद-2(क) जोड़ा गया।
- 36वां संविधान संशोधन 1975 की धारा 5 (26-4-1975 से) के द्वारा अनुच्छेद-2 (क) को समाप्त करके सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
अनुच्छेद-3 – नए राज्यों का निर्माण तथा वर्तमान राज्यों के क्षेत्र एवं नाम में परिवर्तन
इसके अंतर्गत संसद को शक्ति प्रदान की गई और ऐसा कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति से प्रस्तुत होगा। राष्ट्रपति चाहे तो संबंधित राज्य के विधानमंडल के पास इसे विधेयक को एक निश्चित समयावधि में राय जानने के लिए भेज सकता है।
संसद को अधिकार है कि वह विधानमंडल की सिफारिश को स्वीकार करें अथवा ना करें, भविष्य में यदि उस विधेयक में कोई संशोधन करना हो, तो उसे विधानमंडल के पास भेजने की आवश्यकता नहीं है।
अनुच्छेद-4
संसद अपनी साधारण विधायी प्रक्रिया के माध्यम से यह कार्य कर सकती हैं। जिसे अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संशोधन नहीं माना जाएगा।
1960 में बेरुवाड़ी क्षेत्र पाकिस्तान को सौंपते हुए यह प्रश्न उपस्थित हुआ है कि क्या संसद अनुच्छेद-3 के अंतर्गत भारतीय संघ के किसी भू-भाग को दूसरे राज्य को सौंप सकती हैं। इस आधार पर 9वां संविधान संशोधन 1968 में हुआ और यह मामला बेरुबाड़ी यूनियन वाद के नाम से जाना गया)
1968 में सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय लिया जिसके अंतर्गत यह कहा गया कि सीमा संबंधी विवादों का हल करने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता नहीं है।
1948 में भाषा आधार पर राज्यों के पुनर्गठन मसले पर विचार करने के लिए धर आयोग का गठन किया गया और 1968 में ही JVP समिति का गठन किया गया। इन दोनों आयोगों ने भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को अस्वीकार कर दिया गया।
1953 में भाषायी के आधार पर तेलुगु भाषी लोगों के लिए आंध्र प्रदेश का गठन करने के बाद इस विषय पर विचार करने के लिए फजल अली आयोग का गठन किया गया जिसने अपनी रिपोर्ट में एक राज्य, एक भाषा के सिद्धांत को अस्वीकार करते हुए कुछ आधार प्रस्तुत किए।
- जनकल्याण।
- भाषायी संस्कृति एकरूपता।
- आर्थिक,वित्तीय एवं प्रशासनिक विकास।
- देश की एकता अखंडता संप्रभुता
राज्यों का पुनर्गठन
1 अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश का गठन किया गया जो भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य था। राज्यों के पुनर्गठन के लिए दिसंबर 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग गठित किया गया। फजल अली आयोग ने भाषायी एवं संस्कृति एकता के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को स्वीकार किया
राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 में पारित किया गया। 7 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा राज्यों की श्रेणियों को समाप्त कर 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया।
2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश राज्य को विभाजित कर भारत के 29वें राज्य तेलंगाना का गठन किया गया।
ट्रिक:- छत से उत्तर झाकं गाना गा रही है।
- छत- छत्तीसगढ़ (26वां राज्य, Nov.,2000)
- उतर- उत्तराखंड (27वां राज्य, Nov.2000)
- झाकं- झारखंड (28वां राज्य, Nov.,2000)
- गाना- तेलंगाना (29वां राज्य, 2 June,2014)
भारत के राज्य और उनकी राजधानी
- बिहार – पटना
- पश्चिम बंगाल – कोलकाता
- असम – दिसपुर
- आंध्रप्रदेश – अमरावती (new), हैदराबाद (old)
- उड़ीसा – भुवनेश्वर
- उत्तर प्रदेश – लखनऊ
- कर्नाटक – बंगलौर
- केरल – तिरुवनन्तपुरम्
- गुजरात – गांधीनगर
- तमिलनाडु – चेन्नई
- त्रिपुरा – अगरतला
- नागालैंड – कोहिमा
- पंजाब – चंडीगढ़
- हरियाणा – चंडीगढ़
- मणिपुर – इम्फाल
- मध्यप्रदेश – भोपाल
- महाराष्ट्र – मुंबई
- मेघालय – शिलांग
- राजस्थान – जयपुर
- हिमाचल प्रदेश – शिमला
- सिक्किम – गंगटोक
- मिजोरम – आइजॉल
- अरुणाचल प्रदेश – ईटानगर
- गोवा – पणजी
- उत्तराखंड – देहरादून
- छत्तीसगढ़ – रायपुर
- झारखंड – रांची
- तेलंगाना – हैदराबाद
केंद्र शासित प्रदेश और उसकी राजधानी
- दिल्ली – नई दिल्ली
- लक्षद्वीप – कवारत्ती
- दमन और दीव – दमन
- अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह – पोर्ट ब्लेयर
- चंडीगढ़ – चंडीगढ़
- पुदुचेरी – पुदुचेरी
- जम्मू और कश्मीर – श्रीनगर (गर्मी) – जम्मू (सर्दी)
- लद्दाख – लेह
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Specially thanks to – प्रभुदयाल मूण्ड चूरु, दिनेश मीना झालरा टोंक, P K Nagauri
हमारे द्वारा भारत के संविधान भाग 1 संघ और राज्य क्षेत्र से सम्बंधित 1 से 4 अनुच्छेद, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में बताया गया है आपको हमारे दी गई जानकारी कैसी लगी Comment करके जरूर बताये – धन्यवाद
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